Sunday, July 20, 2025
Homeविदेशपुतिन की दिल्ली यात्रा: अमेरिका-नाटो की चिंता के बीच क्या है रूस...

पुतिन की दिल्ली यात्रा: अमेरिका-नाटो की चिंता के बीच क्या है रूस का एजेंडा?

नई दिल्ली

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बढ़ते वैश्विक तनाव और अमेरिका-नाटो के तीखे ऐतराज के बावजूद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत में भारत दौरे पर आने वाले हैं। उनका यह दौरा भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के सिलसिले में होगा, जो 2021 के बाद पहली बार नई दिल्ली में आयोजित होगा। यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिका और नाटो (NATO) में शामिल देश रूस पर लगातार प्रतिबंध बढ़ा रहे हैं और भारत से रूसी रक्षा और ऊर्जा सहयोग पर पुनर्विचार करने का दबाव बना रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस सम्मेलन के दौरान रक्षा उद्योग में सहयोग, ऊर्जा के क्षेत्र में साझेदारी, परमाणु ऊर्जा सहयोग, आर्कटिक क्षेत्र में भारत की भूमिका का विस्तार और हाई-टेक सेक्टर में संयुक्त रोडमैप पर काम जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। हाल ही में पुतिन ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के अनुरोध पर रूस ने भारत को उर्वरक निर्यात बढ़ाया है, जिससे भारतीय खाद्य सुरक्षा को बल मिला। वहीं, भारत और रूस के बीच नए परमाणु संयंत्र के दूसरे स्थान को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया भी इस शिखर सम्मेलन के दौरान पूरी हो सकती है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा था कि भारत-रूस शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है। पिछली बार यह मॉस्को में हुआ था, अब बारी भारत की है। तारीखें आपसी सहमति से तय की जाएंगी।

अमेरिका और NATO को क्यों है आपत्ति?
रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीद और रक्षा साझेदारी जारी रखी है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए, खासकर उच्च तकनीक और सैन्य मामलों में कोई व्यापार नहीं करे। वहीं, NATO देश इस बात चिंतित हैं कि भारत का यह रुख G7 और पश्चिमी दुनिया की रणनीति को कमजोर कर सकता है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि भारत अपनी विदेश नीति स्वतंत्र रूप से तय करता है। रूस एक पुराना और भरोसेमंद सहयोगी है।

ऑपरेशन सिंदूर से पहले पुतिन ने दिया था भारत को समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच आखिरी बातचीत ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले हुई थी। रूस ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का समर्थन किया था। इस सैन्य अभियान में रूसी रक्षा प्रणालियों की अहम भूमिका रही। रूसी S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली और भारत-रूस संयुक्त ब्रह्मोस प्रोजेक्ट ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इन प्रणालियों ने पाकिस्तान की चीन निर्मित सैन्य क्षमताओं को काफी हद तक निष्क्रिय किया।

SCO समिट में भी हो सकती है मोदी-पुतिन मुलाकात
अगर प्रधानमंत्री मोदी चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेते हैं, तो वहां भी उनकी पुतिन से अलग से मुलाकात संभव है।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments