शासकीय सेवकों को करना होगा आचार संहिता का पालन…..
नरसिंहपुर,…….. लोकसभा आम निर्वाचन- 2024 को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से सम्पन्न कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विहित आदर्श आचरण संहिता के तहत शासकीय कर्मचारियों के लिए निर्देश जारी किये गये हैं। शासकीय सेवकों का यह दायित्व है कि वे इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें एवं आचरण एवं व्यवहार में पूर्ण निष्पक्षता बरतें।
शासकीय कर्मचारियों को चुनाव में बिल्कुल निष्पक्ष रहना चाहिये। यह आवश्यक है कि वे किसी को यह महसूस न होने दे कि वे निष्पक्ष नहीं है। जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास होना चाहिये तथा उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये, जिससे ऐसी शंका भी हो सके कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं। संक्षेप में शासकीय कर्मचारियों को किसी भी प्रकार चुनाव प्रचार या अभियान में भाग नहीं लेना चाहिए। उन्हें यह देखना चाहिए कि उनकी सरकार में हैसियत या अधिकारी का लाभ कोई दल या उम्मीदवार ना ले सके। निर्वाचन में किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करना मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों के विपरीत है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 129 एवं 134 क और विशेष रूप से आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है। जिनके अनुसार निर्वाचनों से संबंधित अधिकारी/ कर्मचारी न तो किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करेगा और न मत दिए जाने में कोई असर डालेंगे। इसके अतिरिक्त कोई शासकीय सेवक निर्वाचन अभिकर्ता, मतदान अभिकर्ता या गणना अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 28 क के अधीन नियमों के संचालन के लिए सुनियोजित समस्त अधिकारी/ कर्मचारी तथा राज्य सरकार द्वारा पदाभिहित पुलिस अधिकारी निर्वाचन के परिणाम घोषित होने तक निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर समझा जायेगा और उस समय तक निर्वाचन आयोग के नियंत्रण और अनुशासन के अधीन रहेंगे। निर्वाचन के लिए सशक्त पदीय कर्तव्य को यथोचित तरीके से जिम्मेदारीपूर्वक करना विधि द्वारा अपेक्षित कर्तव्य है, जिसकी अवेहलना शासकीय सेवक को दंड का पात्र बताती है। यदि किसी प्रकार की शंका हो या कठिनाई आए तो कर्मचारी को अपने वरिष्ठ अधिकारी की सलाह लेनी चाहिए।