Saturday, August 16, 2025
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NMC को वापस लेना पड़ा MBBS में लेसबियन और अप्राकृतिक यौन अपराध का पाठ

नई दिल्ली

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने कड़ी आलोचना के बाद हाल ही में जारी किए ‘योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम’ (CBME 2024) के तहत दिशा-निर्देशों को वापस लेकर रद्द कर दिया है. एनएमसी ने यह निर्देश MBBS की पढ़ाई क रहे मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए फोरेंसिक मेडिसिन और कॉक्सिकोलॉजी करिकुल में अप्राकृतिक यौन अपराध (unnatural sexual offences) के रूप में कुकर्म और समलैंगिकता को फिर से शामिल किया गया था.

MBBS के नए दिशानिर्देशों में क्या-क्या था?
दरअसल, एनएमसी ने 31 अगस्त 2024 को अंडरग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट्स के सिलेबस में कुछ बदलाव किए थे. इन बदलावों में छात्रों को समलैंगिकता, कुकर्म और हाइमन जैसे विषयों के बारे में पढ़ाना शामिल था. लेकिन कड़ी आलोचना के बाद इसे 5 दिन बाद वापस ले लिया गया है.

एनएमसी ने नए एमबीबीएस सिलेबस में कुकर्म और समलैंगिकता के अलावा, एनएमसी ने वर्जिनिटी, डेफ्लोरेशन, लेगीटीमेसी,  हाइमन और उसके प्रकार, इसके मेडिकल-कानूनी महत्व को शामिल किया था. 2022 में इन जैसे विषयों को मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार खत्म कर दिया गया था.

फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी के तहत संशोधित सिलेबस में “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) सहित कानूनी योग्यताओं का वर्णन” के अलावा “यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO), सिविल और आपराधिक मामले, जांच (पुलिस जांच और मजिस्ट्रेट की जांच), और संज्ञेय और गैर-संज्ञेय अपराध” भी शामिल थे.

NMC ने क्या कहा?
एनएमसी ने कहा, “यह सूचित किया जाता है कि कॉम्पिटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन करिकुलम (सीबीएमई) 2024 के तहत दिशा-निर्देश जारी करने वाले सम संख्या 31.08.2024 के सर्कुलर को तत्काल प्रभाव से “वापस ले लिया गया और रद्द” कर दिया गया है. उपरोक्त दिशा-निर्देशों को संशोधित किया जाएगा और नियत समय में अपलोड किया जाएगा.”

इसमें यौन विकृतियों, फेटिशिज्म, ट्रांसवेस्टिज्म, वॉयेरिज्म, सैडिज्म, नेक्रोफेजिया, मासोकिज्म, एक्जीबिशनिज्म, फ्रोटेयूरिज्म और नेक्रोफिलिया पर चर्चा की बात कही गई है. हालांकि, एक सूत्र ने बताया कि समलैंगिक व्यक्तियों के बीच सहमति से सेक्स के बीच के अंतर को हटा दिया गया है. संशोधित पाठ्यक्रम में दिव्यांगता पर सात घंटे के ट्रेनिंग को खत्म कर दिया गया है.

एनएमसी ने जारी सर्कुलर में कहा कि फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी में टीचिंग-लर्निंग के अंत में, स्टूडेंट्स को मेडिकल प्रेक्टिस के मेडिकल-लीगल फ्रेमवर्क, आचार संहिता, मेडिकल एथिक्स, पेशेवर कदाचार और चिकित्सा लापरवाही, चिकित्सा-कानूनी जांच और विभिन्न चिकित्सा-कानूनी मामलों के डॉक्यूमेंटेशन को समझने में सक्षम होना चाहिए और संबंधित अदालती निर्णयों सहित चिकित्सा पेशेवर से संबंधित नए अधिनियमों और कानूनों को समझना चाहिए.

 

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