Saturday, August 16, 2025
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टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी खबर आयकर विभाग ने विवाद से विश्वास स्कीम की डेडलाइन में इजाफा कर दिया

नई दिल्ली

आज साल 2024 का आखिरी दिन है और कल से नए साल (New Year 2025) का आगाज होने जा रहा है, इस बीच टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी खबर आई है. दरअसल, आयकर विभाग ऐन मौके पर विवाद से विश्वास स्कीम (Vivad Se Vishwas Scheme) की डेडलाइन में इजाफा कर दिया है. इस स्कीम की लास्ट डेट 31 दिसंबर तय की गई थी, जिसे बढ़ाकर अब 31 जनवरी तक कर दिया गया है. इसका मतलब है कि एक महीने और टैक्सपेयर्स अपने विवादित टैक्स को कम अमाउंट के साथ निपटा सकते हैं. बता दें कि इस स्कीम का ऐलान मोदी 3.0 के पहले बजट (Budget) में वित्त मंत्री द्वारा किया गया था. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…

एक महीने के लिए बढ़ी डेडलाइन
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने टैक्सपेयर्स के विवादित टैक्स मुद्दों के निपटाने के लिए विवाद से विश्वास योजना की शुरुआत की थी, जिसमें आयकर विवादों से परेशान टैक्सपेयर्स (Tax Payers) को कम अमाउंट देकर करा सकते हैं. इस स्कीम की डेडलाइन भी 31 दिसंबर 2024 यानी आज खत्म होने वाली थी. लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से सोमवार को ही इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर इसकी डेडलाइन को 1 महीने के लिए बढ़ाने का ऐलान किया गया. अगर आप इस योजना का लाभ उठाकर टैक्स विवाद का निपटारा कराना चाहते हैं, तो फिर आपके पास अब 31 जनवरी 2025 तक का समय है.

नहीं तो देना होगा 110% पेमेंट
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर आयोगा यानी CBDT ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि अब विवाद से विश्वास योजना का लाभ अगले साल भी मिलेगा और 31 जनवरी तक विवादित टैक्स निपटारे किए जा सकेंगे. इसमें साफ कहा गया है कि नई डेडलाइन तक अगर टैक्सपेयर्स अपने विवादों का निपटारा नहीं करा पाते हैं, तो फिर ऐसे स्थिति में 1 फरवरी 2025 या उसके बाद की जाने वाली घोषणाओं पर विवादित टैक्स डिमांड का 110 फीसदी पेमेंट करना होगा.

इन करदाताओं को स्कीम का फायदा
Vivad Se Vishwas Yojna का लाभ ऐसे करदाताओं को मिलेगा, जिनके विवादित टैक्स से जुड़े मामले के संबंध में अपनी दायर की गई है. जिन टैक्सपेयर्स ने 22 जुलाई 2024 तक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ठ या फिर आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में याचिका दायर की है, या फिर टैक्स ऑफिसर्स की ओर से अपील की गई है, तो फिर उन्हें इस स्कीम के तहत कम अमाउंट देकर टैक्स निपटारा करने का फायदा मिल सकता है.

सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से लगभग 2.7 करोड़ प्रत्यक्ष कर मांगों का समाधान हो सकेगा, जिनकी कुल राशि लगभग 35 लाख करोड़ रुपये होगी. तेजी से इन मामलों का निपटान करने के लिए स्टार्ट की गई Income Tax Department की इस स्कीम के तहत चार तरह के फॉर्म जारी किए गए हैं.

ये चार फॉर्म किए गए हैं जारी

फॉर्म 1 – इसमें आप डिक्लेरेशन फाइल और अंडरटेकिंग देंगे.
फॉर्म 2 – यह अथॉरिटी द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्र के लिए होगा.
फॉर्म 3 – इस फॉर्म के तहत घोषणाकर्ता द्वारा पेमेंट की जानकारी दी जाएगी.
फॉर्म 4 – अथॉरिटी द्वारा टैक्स एरियर के फुल एंड फाइनल सेटलमेंट की जानकारी दी जाएगी.

फॉर्म 1 और 3 हैं सबसे जरूरी
विवाद से विश्वास सरकारी स्कीम में फॉर्म-1 को इनकम टैक्स से जुड़े हर विवाद के लिए अलग-अलग से भरना होगा. वहीं फॉर्म-3 में आपको पेमेंट की जानकारी शेयर करनी होगी. इसमें आपको अपील, आपत्ति, आवेदन, रिट याचिका या दावे को वापस लेने के प्रमाण के साथ अथॉरिटी को देना पड़ेगा. फॉर्म 1 और 3 को टैक्सपेयर्स द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत किया जा सकेगा. ये फॉर्म आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल यानी www.incometax.gov.in पर उपलब्ध कराए जाएंगे.

क्या होता है डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स?
भारत में डायरेक्ट टैक्स के तहत इनकम टैक्स (Income Tax) आता है. जो लोग इसके लिए तय किए गए दायरे में आते हैं, उन्हें अपने इनकम ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है और इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना पड़ता है. इनडायरेक्ट के तहत वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी (GST) के मामले आते हैं. आप जो भी सामान खरीदते हैं या टेलीकॉम जैसी किसी सेवा का इस्तेमाल करते हैं, तो उस पर जीएसटी देना पड़ता है.

 

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