Saturday, May 3, 2025
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वित्त मंत्री सीतारमण ने दी राहत, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समयसीमा बढ़ाई

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को किसी भी असेसमेंट ईयर के लिए अपडेटिड इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर बड़ी राहत दी है. बजट में सरकार ने आईटीआर दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ाने का ऐलान किया है. पहले आपको दो साल तक का समय दिया जाता था. अब इसे बढ़ाकर चार तक कर दिया गया है. आपको बता दें कि सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख रुपए तक की सालाना कमाई पर कोई टैक्स ना वसूलने का ऐलान किया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रिटर्न फाइलिंग के अलावा और कौन कौन से ऐलान किए हैं.

ये किए अहम ऐलान

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आईटीआर दाखिल करने की समयसीमा को मौजूदा दो साल से बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में रखा है.
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में उन मामलों में शिक्षा के उद्देश्यों के लिए भेजे गए धन के लिए टीसीएस (स्रोत पर एकत्रित कर) की छूट का भी प्रस्ताव रखा, जहां शिक्षा ऋण कुछ निर्दिष्ट वित्तीय    संस्थानों से लिया गया हो.
उन्होंने कहा कि डायरेक्टर कर विवादों को निपटाने के लिए लाई गई विवाद से विश्वास 2.0 योजना का 33,000 टैक्सपेयर्स ने लाभ उठाया है.
इसके साथ ही सीनियर सिटीजंस को ब्याज से हुई आय पर कर कटौती की सीमा दोगुनी करके एक लाख रुपए करने की घोषणा भी बजट में की गई.
वित्त मंत्री ने किराए पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) की सीमा को भी बढ़ाकर छह लाख रुपए करने का प्रस्ताव किया है.
इसके अलावा, बजट में स्टार्टअप कंपनियों को अब कंपनी के गठन से पांच साल की अवधि तक कर लाभ मिलता रहेगा.

12 लाख की कमाई को टैक्स नहीं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उम्मीदों के अनुरूप मिडिल क्लास को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपए तक की सालाना आय को पूरी तरह से कर मुक्त किये जाने की घोषणा की. यह छूट नई आयकर व्यवस्था में दी गयी है. स्टैंडर्ड डिडक्शन 75,000 रुपए के साथ नौकरीपेशा लोगों को अब 12.75 लाख रुपए तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं देना होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि कर छूट से मध्यम वर्ग के लोगों के पास खपत के लिए अधिक पैसे बचेंगे. साथ ही निवेश और बचत भी बढ़ेगी. वित्त मंत्री ने इसके साथ अलग-अलग कर स्लैब में भी बदलाव का प्रस्ताव किया.

इसके तहत, अब चार लाख रुपए सालाना आय पर कोई कर नहीं लगेगा. चार से आठ लाख रुपए पर पांच प्रतिशत, आठ से 12 लाख रुपए पर 10 प्रतिशत, 12 लाख से 16 लाख रुपए पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख रुपए पर 20 प्रतिशत, 20 लाख रुपए से 24 लाख रुपए पर 25 प्रतिशत तथा 24 लाख रुपए से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा. प्रत्यक्ष कर छूट से सरकारी खजाने पर एक लाख करोड़ रुपए का बोझ आएगा.

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