नई दिल्ली/भोपाल। देशभर की केंद्रीय श्रमिक संगठनों और स्वतंत्र सेक्टोरल फेडरेशनों/एसोसिएशनों के संयुक्त मंच ने आज एक महत्वपूर्ण बैठक में 20 मई को प्रस्तावित देशव्यापी आम हड़ताल की तारीख को आगे बढ़ाकर अब 9 जुलाई 2025 को करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, के बाद देश में उत्पन्न हालातों को देखते हुए लिया गया है।
बैठक में शामिल संयुक्त मंच ने एक बार फिर 9 मई को जारी अपने वक्तव्य को दोहराया, जिसमें आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए सरकार से अपील की गई थी कि वह इस संवेदनशील समय में देश के भीतर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। साथ ही देशभर के मेहनतकशों द्वारा आतंकवाद और नफरत की राजनीति के खिलाफ दिखाई गई एकता की सराहना की गई।
हड़ताल स्थगित लेकिन संघर्ष जारी
संयुक्त मंच ने स्पष्ट किया कि हड़ताल की तारीख को आगे बढ़ाना ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रहित में जिम्मेदार नागरिक होने का प्रमाण है, लेकिन श्रमिक वर्ग के अधिकारों की लड़ाई पूरी ताकत से जारी रहेगी। इसलिए अब 9 जुलाई 2025 को देशभर में आम हड़ताल होगी। वहीं, 20 मई को राजधानी, जिलों, औद्योगिक क्षेत्रों और कार्यस्थलों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन और रैलियों का आयोजन किया जाएगा।
सरकार और पूंजीपतियों पर गंभीर आरोप
संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच ने केंद्र और कई राज्य सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि आतंकवादी हमले जैसी राष्ट्रीय त्रासदी के बीच भी श्रमिकों पर हमले और उत्पीड़न बंद नहीं किए गए।
काम के घंटे जबरन बढ़ाए जा रहे हैं
न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन हो रहा है
कॉन्ट्रैक्ट मजदूरों की बेरहमी से छंटनी की जा रही है
यह सब कुख्यात लेबर कोड्स को पीछै के रास्ते लागू करने की साजिश का हिस्सा बताया गया है। ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि तमाम अनुरोधों के बावजूद सरकार ने भारतीय श्रम सम्मेलन बुलाने या संवाद की पहल नहीं की, और उल्टे मजदूर विरोधी नीतियों को तेज़ी से लागू कर रही है।
संयुक्त मंच की अपील
संयुक्त मंच ने देश के सभी मजदूर संगठनों, कर्मचारियों और किसानों से अपील की है कि वे हड़ताल की तैयारी को जारी रखें और 9 जुलाई 2025 को होने वाली देशव्यापी आम हड़ताल को ऐतिहासिक बनाएं। साथ ही सरकार से मांग की है कि वह ट्रेड यूनियन आंदोलन की सकारात्मक भूमिका को समझे और श्रमिकों की न्यायसंगत मांगों पर कोई भी एकतरफा और उकसाने वाला कदम न उठाए।
हड़ताल का मुख्य मुद्दा:
श्रम संहिताओं (Labour Codes) को वापस लेना
श्रमिकों और किसानों की मूलभूत मांगों की पूर्ति
कार्यस्थलों पर सुरक्षा, वेतन और अधिकारों की रक्षा