भारत में छोटे शहरों और कस्बों में काम करने वाले पत्रकारों को कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी का खतरा बड़े शहरों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। यह खुलासा ‘Pressing Charges’ नामक एक नई रिपोर्ट में हुआ है, जिसे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, ट्रायलवॉच (क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस की पहल) और ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूट ने मिलकर तैयार किया है। रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई।
10 वर्षों में 427 पत्रकारों पर 624 केस
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2012 से 2022 के बीच देशभर में 427 पत्रकारों पर कुल 624 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इनमें से 60 पत्रकारों पर एक से अधिक बार केस दर्ज हुए। हर केस को एक अलग घटना के रूप में गिना गया है।
243 मामले छोटे शहरों और कस्बों से जुड़े थे।
232 मामले मेट्रो शहरों में दर्ज हुए।
किन मामलों में पत्रकारों को निशाना बनाया गया?
सबसे ज्यादा मामले उन पत्रकारों पर दर्ज हुए जिन्होंने जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों पर रिपोर्टिंग की। इस श्रेणी में कुल 147 केस सामने आए।
इसके अलावा:
धर्म और आंदोलनों पर रिपोर्टिंग करने पर भी कई पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज की गईं।
बड़े शहरों में आमतौर पर “दंगा भड़काने” जैसे आरोप लगे।
छोटे शहरों में “सरकारी काम में बाधा” या “सरकारी अफसर से दुर्व्यवहार” जैसे आरोप ज्यादा लगे।
मानहानि के मामले किस पर?
मानहानि (Defamation) के अधिकतर केस बड़े शहरों के अंग्रेजी मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों पर दर्ज हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय पत्रकार सीधे तौर पर ग्राउंड से रिपोर्टिंग करते हैं, जिससे प्रशासन पर तुरंत असर पड़ता है, जबकि बड़े शहरों में केस अक्सर व्यक्तिगत शिकायतों के जरिये दर्ज होते हैं।
गिरफ्तारी का जोखिम: छोटे शहरों में ज्यादा
कुल मामलों में 40% पत्रकारों की गिरफ्तारी हुई।
मेट्रो शहरों में यह आंकड़ा 24% रहा।
छोटे शहरों में 58% मामलों में गिरफ्तारी की गई।
कोर्ट से राहत भी असमान
65% मेट्रो पत्रकारों को अग्रिम जमानत या गिरफ्तारी पर रोक जैसी राहत मिली।
वहीं, छोटे शहरों के पत्रकारों को ऐसी राहत सिर्फ 3% मामलों में ही मिल सकी।
केस के ट्रायल पर रोक लगाने के मामलों में भी 89% राहत मेट्रो पत्रकारों को मिली, जबकि छोटे शहरों के किसी पत्रकार को ट्रायल स्टे नहीं मिला।
मप्र में क्या है स्थिति
मध्य प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामलों की संख्या के बारे में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन विभिन्न रिपोर्टों और घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि राज्य में पत्रकारों को कानूनी कार्रवाई और हमलों का सामना करना पड़ता है।
पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मामलों के कुछ उदाहरण:
गुना जिले में पत्रकार पर 11 एफआईआर: सितंबर 2023 में, पत्रकार जलम सिंह किरार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद 11 एफआईआर दर्ज की गईं। रिपोर्ट में एक वायरल वीडियो का उल्लेख था, जिसमें एक भाजपा मंत्री को एक महिला के साथ दिखाया गया था। किरार पर ब्लैकमेलिंग और अफवाह फैलाने के आरोप लगाए गए।
भिंड जिले में तीन पत्रकारों पर मामला: अगस्त 2022 में, भिंड जिले में तीन पत्रकारों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद एफआईआर दर्ज की गई। रिपोर्ट में एक व्यक्ति को अपने बीमार पिता को ठेले पर अस्पताल ले जाते हुए दिखाया गया था, जो कथित रूप से एम्बुलेंस की अनुपलब्धता के कारण था। प्रशासन ने रिपोर्ट को झूठा बताते हुए पत्रकारों पर धोखाधड़ी और सार्वजनिक शरारत के आरोप लगाए।
खरगोन जिले में छह पत्रकारों पर मामला: जुलाई 2021 में, खरगोन जिले में छह पत्रकारों पर अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग के दौरान जिला खनन अधिकारी से बहस के बाद दंगा और सरकारी कर्मचारी से दुर्व्यवहार के आरोप में मामला दर्ज किया गया।
राजगढ़ जिले में पत्रकार पर मामला: मई 2021 में, पत्रकार तनवीर वारसी पर एक वीडियो शूट करने के बाद मामला दर्ज किया गया, जिसमें एक COVID-19 ICU वार्ड की छत से पानी टपकता दिखाया गया था। प्रशासन ने वारसी पर बिना लाइसेंस के नर्सिंग होम चलाने और लापरवाही के आरोप लगाए।
संदीप कोठारी की हत्या: 2015 में, पत्रकार संदीप कोठारी की हत्या कर दी गई थी। वह अवैध रेत खनन और भूमि हथियाने की रिपोर्टिंग कर रहे थे। उनकी हत्या के पीछे खनन माफिया का हाथ बताया गया।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश में पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान कानूनी कार्रवाई और हमलों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मामलों की कुल संख्या के बारे में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
निष्कर्ष
यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारत में छोटे शहरों के पत्रकार सबसे ज्यादा दबाव और खतरे में हैं। उन्हें न केवल अधिक कानूनी मामलों का सामना करना पड़ता है, बल्कि न्यायिक प्रणाली तक पहुंच और सुरक्षा में भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है। वहीं, बड़े शहरों में काम करने वाले पत्रकार बेहतर संसाधनों और संपर्कों के चलते कहीं ज्यादा सुरक्षित नजर आते हैं।