Saturday, May 17, 2025
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भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 6.8-7 प्रतिशत के बीच रह सकती है

नई दिल्ली
भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 6.8-7 प्रतिशत के बीच रह सकती है। इसकी वजह कृषि क्षेत्र का अच्छा प्रदर्शन करना है। शुक्रवार को जारी हुई बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। पूरे वित्त वर्ष के लिए विकास दर 6.2 प्रतिशत से लेकर 6.4 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की अर्थव्यवस्था उसके वैश्विक समकक्षों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन जारी रखेगी। इसकी वजह मजबूत आधार होना है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में वृद्धि दर 6.4-6.6 प्रतिशत के समान स्तर पर रह सकती है। हालांकि, किसी भू-राजनीतिक संघर्ष और वैश्विक टैरिफ से अनुमानों पर नकारात्मक असर हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र में 7.7 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि की उम्मीद है। यह वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में दर्ज 0.9 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में काफी अधिक वृद्धि होगी। इसकी वजह खाद्यान्न के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि होना है। वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में विकास दर तीसरी तिमाही से अधिक रहने का अनुमान है। सेक्टर्स की ग्रोथ में असमानता रह सकती है। कुछ सेक्टर्स बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। वहीं, कुछ सेक्टर्स का प्रदर्शन नरम रह सकता है।

खनन क्षेत्र की वृद्धि दर वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि में 0.8 प्रतिशत थी। दूसरी ओर, विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि घटकर 1.8 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 11.3 प्रतिशत थी। यह आंशिक रूप से प्रतिकूल आधार और कमजोर कॉर्पोरेट आय के कारण है।

बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि में 8.8 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 26 में अच्छे मानसून के कारण ग्रामीण मांग में उछाल देखने को मिल सकता है। इसके अतिरिक्त नई टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स छूट बढ़ने के कारण उपभोक्ता खपत में इजाफा हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 26 में कम होती महंगाई दर से वृद्धि दर को बढ़ावा मिलेगा और कमोडिटी की कम कीमतों से विकास दर को सपोर्ट मिलेगा।

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