Monday, May 19, 2025
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विश्व संग्रहालय दिवस पर ‘सरोकार’ के बच्चों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जाना मानव सभ्यता का इतिहास

भोपाल, 18 मई।

विश्व संग्रहालय दिवस (World Museum Day) के अवसर पर भोपाल स्थित आंचलिक विज्ञान केंद्र में एक खास शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सामाजिक संस्था सरोकार से जुड़े नन्हें बच्चों को आमंत्रित किया गया। आयोजन का उद्देश्य बच्चों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानव इतिहास, सभ्यता और आधुनिक विज्ञान को समझने का अवसर प्रदान करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत मानव संग्रहालय के निदेशक अमिताभ पांडे  द्वारा प्रदर्शनी का उद्घाटन कर की गई। उन्होंने बच्चों को पुरातत्व प्रदर्शनी के माध्यम से मानव सभ्यता के विकास की रोमांचक यात्रा करवाई—कि कैसे हजारों, लाखों वर्ष पहले इंसान ने पत्थरों के औज़ार बनाए, कैसे आग की खोज हुई, और किस तरह आदिमानव धीरे-धीरे सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक रूप से विकसित होता चला गया। उन्होंने बच्चों को यह भी समझाया कि मानव सभ्यता का इतिहास केवल किताबों में नहीं, बल्कि हमारे चारों ओर बिखरे साक्ष्यों, वस्तुओं और संरचनाओं में छिपा है।

श्री पांडे ने बच्चों को हर चीज को तर्क और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने की सलाह दी और कहा कि “विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि हमारी सोच और समझ का आधार बन सकता है।”

बच्चों ने उत्साह से पूछे सवाल, विशेषज्ञों ने दिए सरल उत्तर

इस अवसर पर अनुमंडल प्रमुख व पुरातत्वविद श्री मनोज  और विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कार्यक्रम संयोजक अधिकारी श्री साकेत ने भी बच्चों से संवाद किया। बच्चों ने जैसे ही चित्रों और पुरातत्व सामग्री को देखना शुरू किया, उनके मन में कई सवाल उठे — “पहले के इंसान कैसे रहते थे?”, “वे बिना बिजली और गैस के खाना कैसे बनाते थे?” और “इतिहास को कैसे जाना जाता है?” इन सवालों का विशेषज्ञों ने बच्चों की भाषा में जवाब दिया।

सभी अधिकारियों ने संग्रहालयों के महत्व को समझाते हुए बताया कि ये केवल ‘पुरानी चीजों की जगह’ नहीं हैं, बल्कि हमारे अतीत को समझने की खिड़की हैं। बच्चों की जिज्ञासा और सक्रिय भागीदारी ने यह दर्शाया कि यदि उन्हें सीखने का सही माहौल दिया जाए, तो वे अद्भुत ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।

विज्ञान शो और खेलों ने बच्चों को बनाया नन्हा वैज्ञानिक

प्रदर्शनी के बाद बच्चों के लिए एक विज्ञान शो का आयोजन किया गया, जिसमें उन्हें तरल नाइट्रोजन के गुणों को मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया गया। बच्चों ने देखा कि किस तरह से यह पदार्थ सामान्य दिखने वाली वस्तुओं को क्षणभर में बदल देता है — जैसे फूल का जम जाना या गुब्बारों का सिकुड़ जाना। यह सब कुछ उन्हें चकित भी करता रहा और उत्साहित भी।

इसके पश्चात एन. के. साहू  ने बच्चों को विज्ञान आधारित खिलौने बनाना सिखाया। उन्होंने न केवल खिलौनों को बनाकर दिखाया, बल्कि उनके पीछे छिपे विज्ञान जैसे वायुदाब, गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकत्व आदि के सिद्धांतों को भी सरल शब्दों में समझाया। बच्चों ने अपने हाथों से इन खिलौनों को बनाकर जब उन्हें काम करते देखा, तो उनके चेहरों पर आश्चर्य और खुशी साफ झलक रही थी।

साइंस सेंटर की टीम ने कराया विभिन्न गतिविधियों से परिचय

कार्यक्रम के अंत में साइंस सेंटर की टीम ने बच्चों को केंद्र में मौजूद विज्ञान पर आधारित विभिन्न खेलों, गतिविधियों और प्रयोगों का प्रदर्शन कराया। बच्चों ने इसमें न केवल भाग लिया बल्कि कई नए विज्ञान सिद्धांतों को सीखा भी।

सरोकार संस्था के प्रतिनिधियों ने जताया आभार

इस आयोजन में सरोकार समूह की ओर से संस्था की सचिव श्रीमती कुमुद सिंह, शहनाज अली, शाहीन सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे। संस्था की ओर से इस शैक्षणिक यात्रा के लिए विज्ञान केंद्र को धन्यवाद देते हुए कहा गया कि “ऐसे कार्यक्रम बच्चों के मानसिक, तार्किक और बौद्धिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। ये अनुभव उनके भीतर जिज्ञासा और सीखने की चाह को प्रज्वलित करते हैं।”

यह आयोजन केवल एक एक्सपोजर विजिट नहीं था, बल्कि यह बच्चों के लिए इतिहास और विज्ञान की एक जीवंत, संवादी और अनुभवजन्य कक्षा बन गया। बच्चों की आँखों में चमक और उनके सवालों की बौछार ने यह स्पष्ट कर दिया कि शिक्षा जब अनुभवों से जुड़ती है, तो वह जीवन भर की सीख बन जाती है।

 

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