भोपाल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने दादा गुरू जी के निराहार 1705 वें दिन जरारूधाम में स्वागत वंदन किया। दादागुरू ने दमोह के जरारूधाम में वृक्षों एवं भगवान शंकर का पूजन किया। गौ-अभ्यारण जरारूधाम में नर्मदाखंड सेवा संस्थान ने आज दादागुरू के निराहार 1705 दिन होने पर 1705 पौधों का रोपण किया। इस अवसर पर पशुपालन, डेयरी विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार लखन पटेल, विधायक बण्डा वीरेन्द्र सिंह लम्बरदार, जिला पंचायत अध्यक्ष रंजीता गौरव पटैल, पूर्व विधायक प्रदुम्न सिंह लोधी, नर्मदाखंड सेवा संस्थान के अध्यक्ष नरेन्द्र बजाज सहित बड़ी संख्या जनप्रतिनिधि, अधिकारी, पत्रकार और नागरिक मौजूद थे।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि यह एक सुखद संयोग है, मॉ नर्मदा के अनन्य भक्त दादा गुरू को माँ नर्मदा के जल पर 1700 दिन पूरे हो गए, कल 1705 दिन होंगे, उस उपलक्ष्य में स्वयं दादा गुरु दमोह के जरारू धाम पधारे हैं। दादा गुरु के दर्शन हुये, ऐसी दिव्यमूर्ति जो लगभग 5 साल से मॉ नर्मदा के जल पर है और जितना वह तेजी से चलते हैं, जरारूधाम पुण्यभूमि का तप है, इस दौरान यहॉ आये।
मंत्री श्री पटेल ने कहा जरारूधाम में प्रतिवर्ष तीन बार पौधरोपण करते है। इस बार निमित्त है दादागुरु के 1705 दिन जल पर हुए हैं, शायद इतिहास में कभी कोई ऐसी प्रतिमूर्ति अभी तक ज्ञात नहीं है, जब उनके 1700 दिन पूर्ण हुए। आज 1705 पौधों का रोपण हो रहा है, यह स्मृति वन दादा गुरु के तप को समर्पित है, जरारुधाम की तपस्थली में तपस्वी पधारे और उनकी स्मृति में हम सब शामिल है, सभी ने पौधों का रोपण किया है, पहले हमने 10,000 पौधे लगाये थे। आज के दिन 1705 पौधे दादा गुरु की तपस्या की स्मृति में उनको समर्पित है इसलिए आज सभी बेटे-बेटियों, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं, अधिकारियों, कर्मचारियों सबका मैं आभार व्यक्त करता हूँ।
दादा गुरू ने कहा जिस प्रकार मठ की शोभा मूर्ति से होती है, वैसे ही हमारे ग्राम, नगर की जीवंतता पेड़-पौधो से है, जैसे मठ में मूर्ति की स्थापना की और पत्थर में हमने भगवान, ईश्वर और परात्मा को पाया, अब वक्त आ गया है, अब पेड़-पौधो में भी भगवान को देखना शुरू कर दो तब ही यह संरक्षित हो पायेगा, तब ही यह सार्थक हो पायेगा। यह पेड़ नही लगाया हमने स्वयं परात्मा की जीवंत मूर्ति को स्थापित किया है।
मां नर्मदा के भक्त दादा गुरू ने कहा जरारूधाम को हम सिद्व क्षेत्र और आदि तीर्थ भी हम कह सकते है, जरारूधाम गौ अभ्यारण्य मतलब शक्तियों का प्रत्यक्ष रूप जैसे कि रामचरित्र मानस के सुंदरकांड में जरारू का बहुत अच्छा सूत्र है, जो ईश्वर की शक्ति की सगुण उपासना इसी प्रकार जरारूधाम में शक्ति सगुण है, हमने शक्तियों को प्रत्यक्ष पाया है, जरारूधाम में जल के रूप में भी शक्ति है, यदि कोई वृक्ष की पूजा या प्रणाम भी कर रहा है, तो वह ईश्वर की शक्ति की सगुण उपासना कर रहा है, जरारूधाम तीर्थक्षेत्र में चाहे गौ के रूप में हो या चाहे देवगंगा के रूप में हो यहॉ दो शक्तियॉ प्रत्यक्ष रूप में मिल जायेगी विचरण करते हुए हम इस माटी को भी मॉ के रूप में देखते है, यह माटी, धरा साधारण नही है, यह देवधरा और देवभूमि भी कह सकते है, यहॉ पर आने का और सेवा करने का सौभागय मिल जाये तो समझ लेना सहस्त्र कोटि का यज्ञ हो गया है।
पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री श्री लखन पटेल ने कहा मैं जब यहाँ आया तो मुझे लगा कि जरारूधाम तो बिल्कुल बदल गया। हम लोग पहले भी आया करते थे तो पेड़ के नाम पर कुछ भी नहीं था सिर्फ पत्थर ही पत्थर थे और आज सघन जंगल दिख रहा है, यह श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी की सोच और यहाँ के लोगों का समर्पण का परिणाम है, पिछले साल भी हम लोगों ने बहुत सारे पौधे लगाए थे जो बहुत अच्छी स्थिति में हैं और आज जो 1705 पौधे लगाए जा रहे हैं, यह भी आने वाले 2- 3 साल में जंगल में तब्दील हो जायेगे तो सारे फलदार पौधे हैं तो निश्चित रूप से यहाँ लोगों को लाभ मिलेगा।