Wednesday, July 16, 2025
Homeदेशसड़क हादसों का कारण नशा ही नहीं नींद भी है, 1200 लोगों...

सड़क हादसों का कारण नशा ही नहीं नींद भी है, 1200 लोगों पर किए शोध से हुआ खुलासा

देहरादून
उत्तराखंड में सड़क हादसों का कारण नींद और इससे संबंधित बीमारियां हैं। एम्स के मनोरोग विभाग के शोध में यह बात सामने आई है। अक्टूबर 2021 से अप्रैल 2022 तक 1200 लोगों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि 21 फीसदी दुर्घटनाएं नींद आने या नींद से संबंधित समस्या के कारण हुईं हैं। नशे को दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण माना जाता रहा है, लेकिन इस शोध ने नींद को एक अहम कारक बताया है। 
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एम्स के मनोरोग विभाग के निद्रा प्रभाग के चिकित्सकों के शोध में यह बात सामने आई है। उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण नशे को माना जाता है। चिकित्सकों ने शोध से साफ कर दिया किया है कि नींद व नींद से संबंधित समस्या उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि 32 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण नशा था, लेकिन इनमें से कई चालक नींद की समस्या से पीड़ित थे, जिससे नशा करने पर उनकी समस्या और बढ़ गई। 
डॉक्‍टरों ने अक्टूबर 2021 से अप्रैल 2022 तक करीब 1200 लोगों पर शोध किया। ये सभी लोग कई इलाकों में वाहन दुर्घटना में घायल हुए थे, जो इलाज के लिए एम्स में भर्ती हुए थे। इनमें से 575 घायल वाहन चालक थे। इन वाहन चालकों में 75 फीसदी संख्या दोपहिया व तिपहिया वाहन चालकों की थी। शोध निर्देशक व डॉक्टर ने बताया कि 21 फीसदी दुर्घटनाएं वाहन चलाते समय नींद आना या नींद से संबंधित समस्या के चलते हुई। वहीं अत्यधिक थकान से आने वाली नींद भी 26 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण बनी। 32 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण नशा था, लेकिन इनमें ज्यादातर वे चालक शामिल थे जो नींद व नींद से संबंधित समस्या से भी ग्रसित थे और नशा करने से उनकी यह समस्या और अधिक बढ़ गई और दुर्घटना का कारण बनी। 
शोध में कहा गया है कि नींद की समस्या के चलते होने वाली करीब 68 फीसदी दुर्घटनाएं सीधी सपाट व रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली सड़कों पर हुई हैं। ज्यादातर दुर्घटनाएं शाम 6 बजे से रात 12 बजे के बीच हुईं। क्योंकि कुछ लोग शाम को शराब का सेवन भी करते हैं और ऐसे में नींद से संबंधित समस्या और बढ़ जाती है। शोध के मुताबिक 68 फीसदी दुर्घटनाएं सीधी सड़कों पर हुईं। प्रशासन नशे के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाता है। अभियान के तहत एल्कोमीटर से वाहन चालकों की जांच की जाती है। यह शोध अमेरिका के क्यूरियस मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments