Saturday, July 26, 2025
Homeमध्य प्रदेशMP के 23 हजार गांवों में आएंगे शहर जैसे बदलाव, पंचायतों के...

MP के 23 हजार गांवों में आएंगे शहर जैसे बदलाव, पंचायतों के लिए बन रहा मास्टर प्लान

भोपाल 

मध्य प्रदेश के गांवों की तस्वीर जल्द ही बदलने वाली है. आने वाले सालों में एमपी के गांव विकास के मामले में शहरों को टक्कर देंगे. एमपी की हर पंचायत के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जाएगा जिसमें शहरों जैसी तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इस मास्टर प्लान के तहत रोजगार और पर्यटन पर ज़्यादा फोकस रहेगा. फिलहाल दो पंचायतों पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जबकि आने वाले समय में कुल 23 हज़ार पंचायतों को कवर करने की योजना है.

क्या है ये मास्टर प्लान
अक्सर शहरों को डेवलप करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जाते हैं लेकिन मध्य प्रदेश ग्रामीण विकास की ये पहल प्रदेश के गांवों को नई दिशा प्रदान करेगी. इस मास्टर प्लान के तहत रोजगार और पर्यटन पर फोकस किया जाएगा जिससे लोग अपने स्तर पर कमाई को रास्ते खोज सकें. फिलहाल पंचायत  बिलकिसगंज, जिला सीहोर और पंचायत मुरवास, जिला विदिशा में इस मास्टर प्लान की नींव रखी जा चुकी है. ऐसे ही बाकी पंचायतों के लिए भी प्लान तैयार किए जाएंगे.

किन बिंदुओं पर केंद्रित होगा प्लान
इस मास्टर प्लान के तहत गांव में सड़क, बिजली, पानी, इंटरनेट और cctv कैमरे जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. साथ ही साथ साफ-सफाई, और वेस्ट मैनेजमेंट पर भी ध्यान रखा जाएगा. हेल्थ, एजुकेशन, हाउसिंग और एंटरटेंमेंट के  लिए भी पूरी व्यवस्थाएं रखी जाएंगी. शहरों की तरह गांव की जमीन के हिसाब से सेक्टर भी मार्क किया जाएगा.  

किस स्तर तक पहुंची मास्टर प्लान की गाड़ी
फिलहाल बिलकिसगंज और मुरवास, दोनों पंचायतों में सीसीटीवी लगाए जाने, लेक फ्रंट, नया बाजार, स्किल डेवलपमेंट सेंटर, ग्रे वॉटर और ड्रेनेज सिस्टम, प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर, नट उत्पादन, खेती, गौशाला निर्माण करने की योजना बनाई जा रही है. ये मेगा प्लान दो चरणों में काम करेगा. पहला चरण साल 2026 से 2030 और दूसरा चरण साल 2030 से 2035 तक चलेगा.  भोपाल के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर द्वारा दोनों पंचायतों का प्लान तैयार किया गया है. 

प्लान में हुई शामिल बातें

    गांव में सड़क, बिजली, पानी, इंटरनेट और सीसीटीवी जैसी सुविधाएं। साफ-सफाई, सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था।
    हेल्थ, एजुकेशन, हाउसिंग और मनोरंजन के लिए अलग क्षेत्र तय। गांव की जमीन के हिसाब से सेक्टर चिह्नित किए गए हैं।

गांवों में भी लेक फ्रंट, स्थानीय व्यापार पर जोर

    इस प्लान के तहत दो चरणों में काम होगा। पहला चरण 2026 से 2030 और दूसरा चरण 2030 से 2035 तक चलेगा।
    बिलकिसगंज के लिए 11 और मुरवास के लिए 7 खास प्रोजेक्ट बनाए गए हैं, जैसे- लेक फ्रंट, नया बाजार, स्किल डेवलपमेंट सेंटर, ग्रे वॉटर और ड्रेनेज सिस्टम, प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर, गो-काष्ठ निर्माण, नट उत्पादन और खेती, गौशाला निर्माण।

प्लान की जरूरत क्यों पड़ी?

अभी इनमें रोजगार, छोटे कारोबार और वेस्ट मैनेजमेंट जैसी जरूरतें नहीं हैं। गांवों व जंगलों को साफ-सुथरा और टिकाऊ बनाए रखना जरूरी है। क्या संभावना है? : अगर लोगों को सही ट्रेनिंग दी जाए, तो वे अपने स्तर पर कमाई के रास्ते खोज सकते हैं। गांवों में चल रहे स्वयं सहायता समूह और पर्यटन से भी आमदनी बढ़ सकती है।

आईआईटी बना रहा प्लान : योजना को लेकर भोपाल में दो दिन तक अफसरों और विशेषज्ञों की बैठक हुई। इसमें गांवों के सरपंच भी थे। योजना केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसमें 14 राज्यों की 36 पंचायतें शामिल हैं। योजना आईआईटी व एसपीए जैसे संस्थान बना रहे हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments