Saturday, July 26, 2025
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भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता: उद्योग जगत में उत्साह, आर्थिक संबंधों को मिलेगी नई उड़ान

विवेक झा, भोपाल। भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) ने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को नई दिशा देने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। इस समझौते पर कल हस्ताक्षर होने के बाद उद्योग जगत में उत्साह की लहर है। फेडरेशन ऑफ एम.पी. चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफएमपीसीसीआई) ने इस महत्वपूर्ण पहल का गर्मजोशी से स्वागत किया है।

एफएमपीसीसीआई के अध्यक्ष श्री दीपक शर्मा ने इसे “दोनों देशों के लिए परिवर्तनकारी कदम” करार देते हुए कहा कि यह समझौता न केवल व्यापारिक बाधाओं को कम करेगा बल्कि निवेश और औद्योगिक सहयोग के नए द्वार खोलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि समझौते से विशेष रूप से वस्त्र उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, औषधि, अभियांत्रिकी उत्पाद, कृषि-आधारित उद्योग, एमएसएमई और स्टार्टअप इकोसिस्टम को अभूतपूर्व लाभ मिलेगा।

श्री शर्मा ने कहा,
“यह समझौता भारत और यूके के बीच बढ़ते भरोसे और साझेदारी का प्रतीक है। हमारे निर्यातकों, सेवा क्षेत्र के पेशेवरों और उद्योग जगत के लिए यह नए अवसर लेकर आएगा। इससे रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा और नवाचार आधारित विकास को गति मिलेगी।”

उन्होंने यह भी बताया कि फेडरेशन इस समझौते की प्रमुख शर्तों और अवसरों को अपने सदस्यों तक पहुंचाने के लिए एक विशेष जागरूकता अभियान चलाएगा। इसके तहत उद्योग जगत को विस्तार से जानकारी दी जाएगी ताकि वे इस रणनीतिक साझेदारी का अधिकतम लाभ उठा सकें।

एफएमपीसीसीआई ने इस ऐतिहासिक समझौते को सफल बनाने वाले दोनों देशों के नेतृत्व और वार्ताकारों को हार्दिक बधाई देते हुए विश्वास जताया कि इससे भारत-यूके के बीच न केवल व्यापारिक रिश्ते मजबूत होंगे बल्कि वैश्विक मंच पर दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी भी नए मुकाम पर पहुंचेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से भारतीय वस्त्र और परिधान उद्योग को ब्रिटिश बाजार में कम टैरिफ और आसान बाजार पहुंच मिलेगी, वहीं यूके से आने वाले उच्च तकनीकी उत्पादों और निवेश से भारतीय विनिर्माण क्षमता को मजबूती मिलेगी।

कैसे लाभान्वित होगा मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश के उद्योगपतियों ने भी इसे राज्य के लिए फायदेमंद करार दिया है। प्रदेश का कृषि प्रसंस्करण उद्योग, फार्मा सेक्टर, आईटी सेवाएं और हस्तशिल्प निर्यात इस समझौते से विशेष लाभ उठा सकते हैं।

एफएमपीसीसीआई आने वाले हफ्तों में उद्योग प्रतिनिधियों के साथ एक विस्तृत सेमिनार आयोजित करेगा जिसमें व्यापार विशेषज्ञ इस समझौते के विभिन्न प्रावधानों को समझाएंगे और संभावित अवसरों पर चर्चा करेंगे।

विशेषज्ञों के आंकड़े एवं अनुमान

1. आर्थिक प्रभाव की प्रमुख रूपरेखा

यूके सरकार के अनुसार, यह समझौता 2040 तक ब्रिटेन की जीडीपी में हर वर्ष लगभग £ 4.8 अरब (0.13%) का इजाफा करता है, वहीं भारत की जीडीपी में 0.06% (करीब £ 5.1 अरब) की वृद्धि की संभावना है

इसकी मदद से दोनों देशों के बीच व्यापार में £ 25.5 अरब (US$ 34 अरब) वार्षिक वृद्धि सम्भावित है, जो मौजूदा अनुमानित व्यापार स्तरों से लगभग 39‑40% अधिक है

विशेषज्ञ संस्था CareEdge का अनुमान है कि इस समझौते से 2025–2030 तक द्विपक्षीय व्यापार 15% प्रति वर्ष की दर से बढ़ सकता है

2. रणनीतिक लाभ एवं अकेले‑खातों की वृद्धि

भारतीय वस्त्र निर्यात पांच‑छः वर्षों में 11% CAGR पर दोगुना बढ़ सकता है, जबकि रासायनिक निर्यात 40% तक वृद्धि की संभावना है

गहने‑गहनों और चमड़े जैसी श्रेणियों में भी निर्यात बढ़ने के स्पष्ट संकेत हैं: गहनों के मामले में दो‑तीन वर्षों में निर्यात दोगुना, चमड़ा‑फुटवेयर बाजार में 5% अतिरिक्त बाजार हिस्सेदारी

3. विशेषज्ञ प्रतिक्रिया

Anil Agarwal, Vedanta ग्रुप अध्यक्ष ने कहा:
“यह FTA दोनों देशों के लिए ‘विन-विन’ अवसर है; इससे आर्थिक गतिविधि, रोजगार और उद्यमशीलता को बड़ा बल मिलेगा।”

Ankur Munjal, Dezan Shira & Associates ने कहा:
“99% भारतीय निर्यात पर शून्य शुल्क देने के साथ यह समझौता सिर्फ टैरिफ कटौती नहीं, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक संरेखण का ब्लूप्रिंट है… यह भारत को आपूर्ति श्रृंखला में वैश्विक विकल्प के रूप में स्थापित करेगा।”

समझौते की प्रमुख विशेषताएं और लाभ

लाभ/विश्वास
विवरण

शून्य टैरिफ पहुँच (UK में)
भारत के लगभग 99% निर्यात आइटम पर कोई कस्टम ड्यूटी नहीं होगी

ब्रिटिश आयात पर टैरिफ कटौती
औसतन 15% से घटकर 3% तक; Scotch whisky और gin पर टैक्स भी तुरंत घटकर 75% और 10 साल में 40% तक होगा।

सेवा क्षेत्र और पेशेवर गतिशीलता
36 सेवा क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों को UK में Economic Needs Test से मुक्त अनुमति; 75,000 भारतीय पेशेवरों के लिए तीन वर्षों की सामाजिक सुरक्षा छूट।

सरकारी खरीद में सामिलगी
UK कंपनियाँ भारतीय गैर‑संवेदनशील सरकारी टेंडरों (भारो, ₹ 2 अरब तक) में “Class II” लोकल सप्लायर के रूप में भाग ले सकती हैं, करीब £ 38 अरब मूल्य के सालाना परियोजनाओं तक पहुँच।

कार्बन टैक्स प्रभाव
ध्यान दें कि 2027 से UK के कार्बन सीमा समायोजन (CBAM) नियमों की वजह से स्टील और एल्युमिनियम निर्यात प्रभावित हो सकते हैं, करीब $ 775 मिलियन प्रति वर्ष अतिरिक्त लागत अनुमान है।

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