Saturday, May 17, 2025
Homeमध्य प्रदेशसमाज के लिए उपयोगी और सक्षम व्यक्ति बनाना ही शिक्षा : राज्यपाल...

समाज के लिए उपयोगी और सक्षम व्यक्ति बनाना ही शिक्षा : राज्यपाल पटेल

समाज के लिए उपयोगी और सक्षम व्यक्ति बनाना ही शिक्षा : राज्यपाल पटेल

युवा प्रकृति के साथ सह-जीवन की जीवनचर्या को अपनाएं: राज्यपाल पटेल

राज्यपाल पटेल, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के12वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए

भोपाल

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि शिक्षा केवल ज्ञान की डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं है। समाज के लिए उपयोगी और सक्षम व्यक्ति बनाना भी है। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन की अंधी भाग-दौड़ में युवा जीवन के आनंद से वंचित हो रहे हैं। दिनचर्या यांत्रिक होती जा रही है। जरूरी है कि युवा प्रकृति के साथ सह-जीवन की दिनचर्या को अपनाएं। उन्होंने विद्यार्थियों से अपेक्षा करते हुए कहा है कि इस प्रतिष्ठित संस्थान में अर्जित ज्ञान का उपयोग मानवता की सेवा में करें। परिवार, समाज के प्रति संवेदनशील रहे। माता-पिता, गुरुजन, समुदाय और समाज के लिए कृतज्ञता का भाव रखें। वंचितों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहें। राज्यपाल पटेल राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय के पी.एच.डी. उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ताओं को मंच से सम्मानित किया गया।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि भौतिक सुखों को प्राप्त करने से सुख नहीं मिलता है। आत्मिक सुख, जरूरतमंदों की मदद और सेवा कार्यों से मिलता है। उन्होंने सेवा कार्यों में प्रदर्शन की अपेक्षा परिणामों पर बल दिए जाने वाले सामाजिक वातावरण के निर्माण में शिक्षा की भूमिका पर विचार करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह का दिन उपलब्धियों से जुड़े गर्व को महसूस करने का दिन है, जो संस्थान और विद्यार्थी दोनों के लिए उत्सव का प्रसंग होता है। हम सबके जीवन में कुछ ऐसे क्षण होते हैं जिन्हें हम जीवन भर संजो कर रखते हैं। ऐसा ही दीक्षांत का दिन होता है, जो विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क में हमेशा अंकित रहेगा। परिसर में अध्ययन के दौरान छात्र-छात्राओं ने यादगार पल और जीवन भर के लिए मित्रता की है। अनमोल सबक और प्रचुर ज्ञान प्राप्त किया है। यह सब आने वाले समय में विभिन्न परिस्थितियों में उनके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि दीक्षांत का दिन जीवन का वह महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां विद्यार्थियों को कैरियर और जीवन के अगले चरण के बारे में निर्णय लेना है। प्राप्त उपाधि आपको असीमित अवसरों और संभावनाओं की दुनिया में प्रवेश कराएगी। उनके सामने देश-विदेश में उच्चतर अध्ययन, रोजगार और उद्यम स्थापना के विकल्प उपलब्ध होंगे, लेकिन भावी जीवन में रोजगार तलाशने वाले की बजाय रोजगार देने वाले की तरह सोच कर आगे बढ़ने का प्रयास करे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि दीक्षांत का सम्मान उनके अथक परिश्रम से मिला है। इस सफलता की साधना में उनके माता-पिता सदैव उनके साथ खड़े रहे, इसलिए यह उपलब्धि केवल उनकी नहीं है, यह उनके माता-पिता की भी उपलब्धि है।

तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि भारत दुनिया का बुद्धिवान समाज था। तक्षशिला, नालंदा सारी दुनिया की शिक्षा के केन्द्र थे। भारत को विश्व गुरू कहा जाता था। हमारी मान्यताएं और परंपराएं प्रकृति के साथ सह-जीवन के ज्ञान-विज्ञान पर आधारित थी। मातृ भाषा में ज्ञान-विज्ञान के सभी विषयों की शिक्षा समाज के द्वारा प्रदान की जाती थी। शोध में पता चला है कि भारत में लगभग 7 लाख गुरुकुल विभिन्न क्षेत्रों में संचालित थे। अंग्रेजों ने भारत को नियंत्रण में लेने के लिए उसकी शक्तियों के संबंध में अध्ययन कराया था। उन्हें बताया गया कि भारत की ताकत उसकी संस्कृति और शिक्षा में है। औपनिवेशिक प्रशासन ने षड़यंत्रपूर्वक भारतीय ज्ञान-विज्ञान की मान्यताओं और परंपराओं की प्रमाणिकता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। भारतीयों को मातृ भाषा में शिक्षा से वंचित कर विदेशी भाषा में शिक्षा की व्यवस्था कर दी। इस तरह भारतीय समाज को अशिक्षित घोषित करने का कार्य किया था। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि डिग्री प्राप्त करने की उपलब्धि में उनके परिवार, समुदाय, समाज, राज्य और राष्ट्र का महत्वपूर्ण योगदान है।

राजीव गांधी विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजीव त्रिपाठी ने दीक्षांत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों को दीक्षांत शपथ दिलाई। कुलसचिव प्रो. मोहन सेन ने आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा सचिव रघुराज राजेन्द्रन, विश्वविद्यालय की कार्य एवं विद्त परिषद के सदस्य, शिक्षक, अधिकारी-कर्मचारी, छात्र-छात्राएं एवं उनके पालक उपस्थित थे।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments