Sunday, August 10, 2025
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गोवंश संरक्षण के लिए ‘गौधाम’ की स्थापना, गोसेवकों को मिलेगा मानदेय

रायपुर
 राज्य सरकार ने गोवंशों की सुरक्षा के लिए ‘गौधाम’ स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसमें बेसहारा गोवंश के लिए चारा-पानी की व्यवस्था की जाएगी। चरवाहों और गोसेवकों को मासिक मानदेय मिलेगा, चारा-पानी की व्यवस्था की जाएगी और बेहतर संचालन करने वाली संस्थाओं को रैंकिंग के साथ ईनाम भी दिया जाएगा।

वित्त विभाग ने ‘गौधाम योजना’ को मंजूरी दे दी है और पशुधन विकास विभाग ने कलेक्टरों और फील्ड अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है। गोवंशों की लगातार हो रही मौतों पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सरकार में आने के बाद गो अभ्यारण बनाने की बात कही थी।

बता दें कि दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री साय ने एक कार्यक्रम में कहा था कि गो माता हमारी समृद्धि का प्रतीक हैं और माना जाता है कि उनमें 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। उन्होंने कहा था कि गो अभ्यारण्य को ‘गौधाम’ कहना अधिक उचित है।

बेमेतरा में 50 एकड़ में ‘गौधाम’ तैयार

बेमेतरा के झालम में 50 एकड़ में गौधाम तैयार है। इसी तरह कवर्धा में 120 एकड़ में गौधाम निर्माण तेजी से जारी है। बता दें कि हाल ही में हाई कोर्ट ने सड़कों पर मृत पड़ी गायों की घटनाओं पर गंभीर टिप्पणी की थी। पिछले सप्ताह तीन अलग-अलग हादसों में 90 गायों की मौत और बिलासपुर रोड पर 18 गायों की दर्दनाक मौत के बाद मुख्य सचिव ने अफसरों को फटकार लगाई थी।

क्या होगा ‘गौधाम’ में

    गौधाम शासकीय भूमि पर बनाए जाएंगे, जहां सुरक्षित बाड़ा, पशु-शेड, पर्याप्त पानी, बिजली और चारागाह की सुविधा होगी।
    इनका संचालन निकटस्थ पंजीकृत गौशाला समितियों को प्राथमिकता देकर किया जाएगा।
    योग्य एनजीओ, ट्रस्ट, सहकारी समितियां या किसान उत्पादक कंपनियां भी जिम्मेदारी संभाल सकेंगी।
    चयन का मापदंड गोसेवा, नस्ल सुधार, जैविक खाद निर्माण और पशुपालन प्रशिक्षण का अनुभव होगा।
    गोधाम में वैज्ञानिक पद्धति से पशुओं का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा।
    गो- उत्पादों को बढ़ावा देना, चारा विकास कार्यक्रम, प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकास, नस्ल सुधार, गौसेवा के प्रति जन-जागरण और रोजगार सृजन योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं।
    प्रत्येक गो-धाम में अधिकतम 200 पशु रखे जा सकेंगे।

ये हैं कानूनी प्रविधान

छत्तीसगढ़ की सीमाएं सात राज्यों से जुड़ी हैं और यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं, जिससे अंतर्राज्यीय पशु परिवहन की संभावना रहती है। राज्य में कृषि पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (संशोधित 2011) और छत्तीसगढ़ कृषि पशु परिरक्षण नियम 2014 लागू हैं, जिनमें अवैध पशु परिवहन व तस्करी पर सख्ती से रोक है।

प्रदेश में बड़ी संख्या में निराश्रित और जब्त गोवंश पाए जाते हैं, जो फसलों को नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। राज्य सरकार का मानना है कि ‘गौधाम योजना’ से न केवल निराश्रित पशुओं की मौत पर रोक लगेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नए अवसर पैदा होंगे। बेहतर प्रबंधन करने वाली संस्थाएं राज्य में माडल गौधाम के रूप में पहचान बनाएंगी।

 

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