Thursday, August 14, 2025
Homeदेशसुप्रीम कोर्ट का बयान: पहलगाम घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता,...

सुप्रीम कोर्ट का बयान: पहलगाम घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, J&K को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर जोर

नई दिल्ली 
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से आठ सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही इस दौरान पहलगाम में अप्रैल महीने में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया गया। अदालत ने कहा कि पाहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से कहा, “आप पाहलगाम में जो हुआ उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।”

देश की सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी तब आई जब केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चुनावों के बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन जम्मू-कश्मीर की स्थिति को देखते हुए यह मुद्दा अभी नहीं उठाया जाना चाहिए। तुषार मेहता ने कहा, “हमने आश्वासन दिया है कि चुनावों के बाद राज्य का दर्जा बहाल होगा। इस क्षेत्र की स्थिति विशेष है। मैं निर्देश लूंगा, लेकिन 8 हफ्ते का समय दिया जाए।”

वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि दिसंबर 2023 में अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के आश्वासन पर भरोसा करते हुए राज्य के दर्जे के मुद्दे पर फैसला नहीं दिया था। उन्होंने कहा, “उस फैसले को आए 21 महीने हो चुके हैं, लेकिन राज्य का दर्जा अब तक बहाल नहीं हुआ।” याचिका कॉलेज शिक्षक जाहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुरशीद अहमद मलिक ने दायर की है। उनका कहना है कि राज्य का दर्जा न होना नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित कर रहा है।

आपको बता दें कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ ही राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख)में विभाजित कर दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थीं। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दे और वहां पूर्ण लोकतांत्रिक ढांचा बहाल करे।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इस याचिका पर सरकार का पक्ष सुना जाएगा। अदालत ने मामले को 8 हफ्ते बाद अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। इससे पहले जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बीते गुरुवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा बहाल करना ‘आवश्यक सुधार’है, न कि ‘रियायत’और यह मुद्दा क्षेत्रीय हितों से परे है।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments