Monday, December 8, 2025
Homeमध्य प्रदेशमध्यप्रदेश में हर महीने 42 बाल विवाह, 2025 में अब तक 538...

मध्यप्रदेश में हर महीने 42 बाल विवाह, 2025 में अब तक 538 मामले—मंत्री ने विधानसभा में दिए आंकड़े

भोपाल 
मध्य प्रदेश में हर साल महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल विवाह रोकने के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च करता है। इसके बावजूद राज्य में बाल विवाह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2020 से 2025 तक छह साल में हर साल औसतन 400 से ज्यादा बाल विवाह के मामले दर्ज हुए।

कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने पूछा कि मार्च 2020 से अब तक कितने बाल विवाह के मामले सामने आए, जिनमें लड़कियों की उम्र 18 साल से कम पाई गई। उन्होंने वर्षवार और जिलेवार आंकड़े मांगे। इसके अलावा यह जानकारी भी मांगी कि बाल विवाह के बाद कितनी बालिकाओं ने बच्चों को जन्म दिया? उनमें से कितने बच्चों की मौत हो गई?

मंत्री निर्मला भूरिया द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2020 से हर साल बाल विवाह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मुद्दे पर नरसिंहगढ़ सीट से बीजेपी विधायक मोहन शर्मा ने कहा- पहले बाल विवाह होते थे, अब प्रशासन और जनप्रतिनिधि इन्हें रोकने का प्रयास कर रहे हैं।

प्रदेश में दो साल में 36 हजार से ज्यादा बाल विवाह रोके गए

MP  में सरकारी एजेंसियों की मदद से करीब 3 हजार बाल विवाह रोके गए और मानव तस्करी के शिकार साढ़े 4 हजार बच्चों को बचाया गया. बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम करने वाले एक संगठन पिछले दो साल का यह आंकड़ा जारी किया है. 

देशभर में 3 लाख 74 हजार बाल विवाह रोककर, एक लाख बच्चों को मानव तस्करी से बचाकर, यौन शोषण के शिकार 34 हजार बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य उपचार प्रदान करके और 63 हजार मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू करके भारत ने साबित कर दिया है कि वह एक ऐसा राष्ट्र बन सकता है जहां बच्चों के खिलाफ अपराध करने के बाद कोई भी कानून से बच नहीं पाएगा. 

जेआरसी ने देश के 250 से ज़्यादा गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोग से, अप्रैल 2023 से अगस्त 2025 के बीच मध्य प्रदेश के 41 ज़िलों में 36 हजार 838 बाल विवाह रोके, मानव तस्करी के शिकार 4 हजार 777 बच्चों को मुक्त कराया और यौन शोषण के शिकार 1200 से ज़्यादा बच्चों की मदद की. 

बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत के मुकाबले मामूली कम
उन्होने कहा कि मध्य प्रदेश में बाल विवाह की दर 23.1 है जो राष्ट्रीय औसत 23.3 के मुकाबले मामूली कम है लेकिन कुछ जिलों में स्थिति गंभीर है। जैसे राजगढ़ में बाल विवाह की दर 46.0, श्योपुर में 39.5, छतरपुर में 39.2, झाबुआ में 36.5 और आगर मालवा जिले में 35.6 प्रतिशत है। कानून पर सख्ती से अमल के अभाव में बाल विवाह से बच्चियों का पढ़ाई छोड़ना और उनका शोषण व गरीबी के अंतहीन दुष्चक्र में फंसना जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि अब सरकार को साफ संदेश देना होगा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) हर धर्म, परंपरा और पर्सनल लॉ से ऊपर है।

रेप पर मौत की सजा का प्रावधान
 मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने बच्चियों से रेप पर मौत की सजा का प्रावधान किया था। अब यही सख्ती बाल विवाह पर भी दिखनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम बच्चों की सुरक्षा का धर्मनिरपेक्ष कानून है, इसे किसी भी पर्सनल लॉ से कमतर मानना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। प्रदेश की 7.3 करोड़ आबादी में 40% बच्चे हैं। यहां बाल विवाह की दर 23.1% है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3% से थोड़ी कम है। वहीं कई जिलों में हालात चिंताजनक हैं। ऋभु ने कहा कि इन जिलों में बच्चियां समय से पहले पढ़ाई छोड़ रही हैं और गरीबी व शोषण के अंतहीन चक्र में फंस रही हैं।

2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त करना लक्ष्य
 मध्यप्रदेश में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के साथ 17 सहयोगी संगठन बाल विवाह, ट्रैफिकिंग, बाल श्रम और यौन शोषण के खिलाफ दोहरी रणनीति-जागरुकता और कानूनी हस्तक्षेप पर काम कर रहे हैं। यह नेटवर्क चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया अभियान के साथ जुड़ा है, जिसका लक्ष्य 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त करना है।

बैंड और घोड़ी वाले पर भी सजा व जुर्माने का प्रावधान
 बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 बाल विवाह पर पूरी तरह पाबंदी लगाता है। यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के को बच्चे के तौर परिभाषित करता है। इस कानून के तहत बाल विवाह को प्रोत्साहित करने या उसमें किसी भी तरह का सहयोग करने जैसे बारात में शामिल मेहमानों, हलवाई, सजावट करने वाले, बैंड वाले या घोड़ी वाले पर भी सजा व जुर्माने का प्रावधान है।  

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments