Sunday, December 7, 2025
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गाइडलाइन मूल्य से कम पर संपत्ति बिक्री पड़ेगी भारी: खरीदार और विक्रेता दोनों को देना होगा टैक्स

विवेक झा, भोपाल। संपत्ति की खरीद–फरोख्त करने वालों के लिए यह खबर बेहद महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को शासन के गाइडलाइन मूल्य से कम राशि पर बेचता है, तो उसे और खरीदार—दोनों को ही भारी टैक्स चुकाना पड़ सकता है। यह जानकारी Tax Law Bar Association द्वारा आयोजित आयकर विषयक कार्यशाला में युवा अधिवक्ता सानिध्य पस्तोर ने अपने व्याख्यान के दौरान दी।

कार्यशाला में अधिवक्ता सानिध्य पस्तोर ने बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 50-सी के तहत यदि कोई विक्रेता संपत्ति को गाइडलाइन मूल्य से कम कीमत पर बेचता है, तो बिक्री मूल्य और गाइडलाइन मूल्य के बीच के अंतर को उसकी आय मान लिया जाता है। इस अंतर की राशि पर विक्रेता को पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन टैक्स) चुकाना पड़ता है। साथ ही, कानून यह भी मानता है कि यह अंतर की राशि खरीदार को दान के रूप में प्राप्त हुई है, जिस पर खरीदार को भी आयकर देना होगा। इस प्रकार, कम कीमत पर रजिस्ट्री कराने की कोशिश दोनों पक्षों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि अचल संपत्ति (जैसे मकान, प्लॉट, दुकान आदि) को यदि खरीद के 24 माह के भीतर बेच दिया जाता है, तो उस पर अल्पकालीन पूंजीगत लाभ कर (Short Term Capital Gain Tax) देय होता है। वहीं, 24 माह के बाद बेचने पर दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ कर (Long Term Capital Gain Tax) लगता है। इसके उलट, शेयर, म्यूचुअल फंड जैसी अन्य परिसंपत्तियों के लिए यह समय सीमा 12 माह निर्धारित है। उन्होंने यह भी बताया कि सही समय और नियमों की जानकारी के बिना लेन-देन करने पर कर विवादों में फंसने की आशंका बढ़ जाती है।

चूंकि आज संविधान दिवस का अवसर भी था, इसलिए अधिवक्ता सानिध्य पस्तोर ने उपस्थित अधिवक्ताओं और करदाताओं को उनके संवैधानिक कर्तव्यों की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि जैसे हमें अपने अधिकारों पर गर्व है, वैसे ही सरकार को समय पर कर का भुगतान करना भी हमारा संवैधानिक दायित्व है। राष्ट्र के विकास में करदाताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कार्यशाला के दौरान कर नियोजन, रिटर्न फाइलिंग, संपत्ति से जुड़े टैक्स विवाद, नोटिस से बचाव और वैधानिक प्रक्रियाओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई। अधिवक्ताओं ने इस विषय को व्यवहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझा और अपने सवालों के समाधान भी प्राप्त किए।

इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष मृदुल आर्य, उपाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल, सचिव मनोज पारख, सह-सचिव संदीप चौहान, कोषाध्यक्ष धीरेज अग्रवाल सहित वरिष्ठ सदस्य गोविंद वसंता, हेमंत जैन, राजेश्वर दयाल एवं बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।

कार्यशाला के अंत में उपस्थित सदस्यों ने इसे बेहद उपयोगी बताते हुए भविष्य में भी इस तरह की विधिक एवं कर संबंधी प्रशिक्षण कार्यशालाओं के आयोजन की मांग की। आयोजकों ने भी विश्वास दिलाया कि आने वाले समय में कर कानून, जीएसटी और संपत्ति कानून से जुड़ी और भी संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा।

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