Sunday, March 16, 2025
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यह तर्क तो गले के नीचे नहीं उतरता…मथुरा की शाही ईदगाह कमेटी से क्यों बोला सुप्रीम कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को टिप्पणी की कि मथुरा में शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति द्वारा दिया गया यह तर्क गले के नीचे नहीं उतरता कि सभी पक्षों के पास इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय जाने के लिए साधन नहीं हैं. न्यायमूर्ति एस.के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मई में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्‍पणी की.

पीठ ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद के संबंध में विभिन्न राहतों की मांग करने वाली याचिकाओं का एक समूह अपने पास स्थानांतरित कर लिया. पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, “यह हमें स्वीकार्य नहीं है कि आप दिल्ली आ सकते हैं, लेकिन इलाहाबाद नहीं जा सकते…”

किस तर्क पर बोला सुप्रीम कोर्ट?
जब मस्जिद समिति की ओर से पेश वकील ने बताया कि इलाहाबाद और मथुरा के बीच की दूरी है 600 किमी है, लेकिन मथुरा से दिल्ली की दूरी लगभग 100 किमी है तो शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली की अदालतें पहले से ही काम के बोझ से दबी हुई हैं और किसी अन्य राज्य से उत्पन्न मुद्दे को राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित करना “उचित” नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को उन सिविल मुकदमों की सुनवाई से रोकने वाला कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया जिन्हें उसने अपने पास स्थानांतरित कर लिया था, और सुनवाई 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. इस बीच, इसने पक्षकारों से तीन पृष्ठों से अधिक का संक्षिप्त सारांश दाखिल करने को कहा.

SC में एक हलफनामे में, रजिस्ट्रार जनरल ने बताया कि मथुरा जिला न्यायाधीश द्वारा कुल 16 सिविल मुकदमों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है. मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट द्वारा मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित करके पार्टियों को उनके अपीलीय क्षेत्राधिकार से वंचित किया गया. सभी पक्षों के पास उच्च न्यायालय तक जाने का साधन नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले क्या कहा था?
पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने राय दी थी कि देरी और बार-बार एक ही कार्यवाही से बचने के लिए यदि मामले की सुनवाई होई कोर्ट द्वारा ही की जाए तो यह एक बेहतर विकल्प होगा. इसने रजिस्ट्रार जनरल से उन सभी लंबित मुकदमों की जानकारी मांगी जिन्हें उच्च न्यायालय ने एक साथ जोड़ने और अपने पास स्थानांतरित करने का आदेश दिया था.

हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी स्थानांतरण याचिका में कहा था कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मामला राष्ट्रीय महत्व रखता है और इसकी सुनवाई उच्च न्यायालय में होनी चाहिए.

यह तर्क तो गले के नीचे नहीं उतरता...मथुरा की शाही ईदगाह कमेटी से क्यों बोला सुप्रीम कोर्ट?

इसके बाद हाईकोर्ट ने मथुरा की निचली अदालत में चल रहे मामलों को अपने पास स्‍थानांतरित कर लिया है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में मथुरा की विभिन्न अदालतों में कई मुकदमे दायर किए गए थे, जिसमें एक आम दावा था कि ईदगाह परिसर उस भूमि पर बनाया गया है जिसे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है और जहां पहले से एक मंदिर मौजूद था.

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Tags: Mathura Krishna Janmabhoomi Controversy, Mathura news, Supreme Court, Supreme court of india

FIRST PUBLISHED : November 11, 2023, 08:52 IST

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