Saturday, August 9, 2025
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PAK ने BSF जवान को लौटाया… 20 दिन बाद अटारी बॉर्डर से स्वदेश लौटे पूर्णम कुमार शॉ

अटारी

पाकिस्तान ने भारत के बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को वापस लौटा दिया है. पाकिस्तानी रेंजर्स ने अटारी वाघा सीमा के रास्ते बीएसएफ कॉन्स्टेबल को वापस भेजा है. वे पिछले करीब बीस दिनों से पाकिस्तान के कब्जे में थे. कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार सुबह 10:30 बजे वतन वापस लौटे हैं. उनसे पूछताछ की जा रही है.

कैसे पाकिस्तान पहुंच गए थे पूर्णम कुमार?

पूर्णम कुमार, गलती से इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस करके पाकिस्तान पहुंच गए थे, जिसके बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया. वे पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनात थे. भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले किए, जिससे तनाव बढ़ गया. ऐसे में पूर्णम के परिवार की चिंता और भी बढ़ गई.

पत्नी ने जताई थी उम्मीद

पूर्णम कुमार की पत्नी राजनी ने उम्मीद जताई थी कि डीजीएमओ की बातचीत में पूर्णम कुमार के मुद्दे को उठाया जाएगा. उन्होंने कहा था, ‘जब भारतीय सेना ने 3 मई को एक पाकिस्तानी रेंजर को राजस्थान में हिरासत में लिया, तब लगा था कि शायद मेरे पति को भी छोड़ा जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब DGMO वार्ता से नई उम्मीद जगी है.’

राजनी ने यह भी कहा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को उन्हें फोन किया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री ने उनके ससुरालवालों की चिकित्सा सहायता की भी बात कही.

बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की पत्नी रजनी अपने पति के पाकिस्तान के हिरासत में लिए जाने की कहानी सुना ही रही थी तब ही इसी बीच उन्हें एक कॉल आती है. रजनी हमारा कॉल ऑन रखते हुए दूसरा कॉल पिक करती हैं, दूसरी तरफ से कुछ आवाज आती है और रजनी ऊंची आवाज में कहती हैं क्या बात कर रहे हैं, सच में? तब ही क्विंट के रिपोर्टर ने पूछा क्या हुआ, सब ठीक है? तब रजनी ये बोलते हुए कॉल कट कर देती हैं कि भैया मैं थोड़े देर में कॉल करती हूं.

रजनी के कॉल कट करते ही हमने तुरंत इंटरनेट पर बीएसएफ जवान पूर्णम से जुड़ी जानकारी देखने की कोशिश की. लेकिन हमें पूर्णम के पाकिस्तान में गलती से घुस जाने और परिवार से जुड़ी पुरानी खबरों के अलावा कुछ नया नहीं मिला.

दरअसल, 23 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने बीएसएफ के एक जवान पूर्णम कुमार शॉ को हिरासत में ले लिया था. साव गलती से पाकिस्तान बॉर्डर में घुस गए थे. करीब 21 दिन बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूरनम कुमार शॉ को मंगलवार लगभग साढ़े 10 बजे पाकिस्तान ने भारत को सौंप दिया है. पाकिस्तानी रेंजर्स ने अटारी वाघा सीमा के रास्ते बीएसएफ कॉन्स्टेबल को वापस भेजा है.

मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं शॉ जवान शॉ मूल रूप से पश्चिम बंगाल में हुगली के रिसड़ा गांव के रहने वाले हैं। वह 23 अप्रैल को फिरोजपुर में किसानों के साथ भारत-पाक बॉर्डर पर ड्यूटी कर रहे थे। इस दौरान वह गलती से एक पेड़ के नीचे बैठने के लिए पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गए। जहां पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया और अपने साथ ले गए।
क्या है पूरी कहानी?

हिमाचल के कांगड़ा में बीएसएफ के 34 बटालियन में तैनात पूर्णम कुमार की ड्यूटी 16 अप्रैल 2025 को पंजाब के पठानकोट के पास फिरोजपुर में पोस्टिंग हुई थी. 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने 26 लोगों की जान ले ली. इसी बीच कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ 23 अप्रैल 2025 को दोपहर 11:50 बजे, फिरोजपुर सेक्टर के क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए, जिसके बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया.

पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पर्यटकों और नागरिकों पर हमला किया, जिसे 26/11 मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक माना गया. इस हमले ने भारत की शून्य सहिष्णुता की नीति को और मजबूत किया.

जवाब में, भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें भारतीय वायु सेना, थल सेना और नौसेना ने समन्वित रूप से पाकिस्तान और PoK में आतंकी शिविरों को नष्ट किया. इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकी बुनियादी ढांचे को ध्वस्त किया, बल्कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत किसी भी आतंकी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा.

पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के बाद 7-8 मई की रात को भारत के 15 सैन्य ठिकानों जैसे श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट और अमृतसर पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए. हालांकि, भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना के एकीकृत प्रयासों ने इन हमलों को पूरी तरह विफल कर दिया. भारतीय नौसेना ने अपनी वाहक युद्ध समूह (Carrier Battle Group) और उन्नत वायु रक्षा तंत्र का उपयोग कर पाकिस्तानी वायु तत्वों को समुद्री क्षेत्र में निष्क्रिय कर दिया.

गर्भवती पत्नी भी फिरोजपुर पहुंची थी 28 अप्रैल को BSF जवान की गर्भवती पत्नी रजनी पश्चिम बंगाल से फिरोजपुर पहुंची थी। यहां उन्होंने BSF के सीनियर अधिकारियों से मुलाकात की। वह 2 दिन फिरोजपुर में रुकी भी रहीं। हालांकि, उनकी तबीयत बिगड़ने की वजह से उन्हें वापस भेजा गया।

क्या है जीरो लाइन और उसका प्रोटोकॉल…

    जीरो लाइन बेहद संवेदनशील हिस्सा: जीरो लाइन अंतरराष्ट्रीय सीमा का वह संवेदनशील हिस्सा होता है जहां दो देशों की सीमाएं बेहद पास होती हैं। भारत-पाकिस्तान की जीरो लाइन पर सीमित समय और परिस्थितियों में किसानों को खेती करने की अनुमति दी जाती है।

साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए भारत की तरफ से BSF के जवान तैनात किए जाते हैं। इन जवानों को ‘किसान गार्ड’ भी कहा जाता है।
    क्या कहता है प्रोटोकॉल: आमतौर पर ऐसी घटनाओं में 24 घंटे के भीतर जवानों को लौटा दिया जाता है। हालांकि, मौजूदा मामले में ऐसा नहीं किया गया। इस मामले में एक अधिकारी ने बताया कि पहले दोनों देशों के बीच अगर कोई जवान बॉर्डर पार कर लेता था तो फ्लैग मीटिंग के बाद उसे लौटा दिया जाता था। यह सामान्य बात थी, लेकिन पहलगाम में आतंकी हमले के बाद बदले हालात में यह घटना असामान्य हो गई है।

पहले भी गलती से जवान सीमा पार गए ऐसा कई बार हुआ है कि BSF या भारतीय सेना का कोई जवान गलती से जीरो लाइन पार कर गया हो और उसे पाकिस्तान रेंजर्स ने पकड़ लिया हो। बाद में उन्हें रिहा भी कर दिया गया। ऐसे कुछ बड़े मामले जान लीजिए…

    2011 में BSF का एक जवान गलती से सीमा पार कर गया था। पाकिस्तान ने उसे करीब 10 दिन तक हिरासत में रखा। बाद में फ्लैग मीटिंग और राजनयिक दबाव के बाद रिहा किया गया।

    साल 2016 में पठानकोट हमले के बाद BSF का एक जवान गलती से जम्मू सेक्टर में इंटरनेशनल बॉर्डर पार कर गया था। पाकिस्तान रेंजर्स ने उसे पकड़ लिया। फ्लैग मीटिंग के बाद साबित हो गया कि जवान ने गलती से सीमा पार की थी। उसे 24 घंटे के अंदर लौटा दिया गया।
    साल 2020 में एक और BSF जवान गश्त के दौरान फेंसिंग के पार चला गया। पाकिस्तान रेंजर्स ने उसे हिरासत में लिया। कुछ घंटों की बातचीत और जांच के बाद उसे सुरक्षित भारत भेज दिया गया।

ज्यादातर मामलों में गलती से सीमा पार गए जवानों को लौटा दिया है। कुछ मामलों में पाकिस्तान ने जवान को हिरासत में रखा या तुरंत रिहाई से इनकार किया। ऐसा तब हुआ जब सीमा पर तनाव चल रहा हो। हालांकि, कभी कोई जवान गायब नहीं हुआ।

 

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