Saturday, May 24, 2025
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दुनिया भर के कई देश मजहब के नाम पर संघर्ष कर रहे हैं तो वहीं आंतरिक संघर्ष भी आस्था के नाम पर होते रहे हैं

नई दिल्ली
दुनिया भर के कई देश मजहब के नाम पर संघर्ष कर रहे हैं तो वहीं आंतरिक संघर्ष भी आस्था के नाम पर होते रहे हैं। लेकिन विश्व में एक ऐसा तबका भी तेजी से बढ़ रहा है, जो किसी धर्म में आस्था ही नहीं रखता यानी नास्तिक। खासतौर पर यूरोप, अमेरिका, साउथ कोरिया आदि में मजहब से दूरी बनाने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे मसलों पर शोध करने वाली संस्था प्यू रिसर्च के अनुसार इटली, जर्मनी, स्पेन, स्वीडन जैसे देशों में जन्म से प्राप्त धर्म को छोड़ने वाले लोगों की संख्या अधिक है। सर्वे के अनुसार इटली में 28.7 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो नास्तिक हो गए हैं और उन्होंने अपने परिवार से प्राप्त धर्म को छोड़ दिया है।

ऐसे ही जर्मनी में 19.8 फीसदी, स्पेन में 19.6 पर्सेंट और स्वीडन में 16.7 फीसदी लोगों ने अपना धर्म छोड़ दिया है और खुद को नास्तिक घोषित किया है। इसी तरह चिली में 15, मेक्सिको में 13.7 फीसदी और नीदरलैंड में 12.6 पर्सेंट लोगों ने अपने जन्म से प्राप्त धर्म छोड़ा है। इनमें से 99 फीसदी से ज्यादा लोग ईसाई थे, जो अब खुद को नास्तिक बताने लगे हैं। इस तरह धर्म छोड़कर जाने वाले लोगों की सबसे ज्यादा संख्या ईसाइयों की है। यूके में भी धर्म के प्रति लोगों की रुचि कम हो रही है और करीब 12 फीसदी लोग नास्तिक हो गए हैं। इसी तरह जापान में 10.7, ग्रीस में 10.2, कनाडा में 9.5 फीसदी लोगों ने अपना धर्म त्याग दिया है और अब उनका कहना है कि वे किसी भी मजहब में आस्था ही नहीं रखते।

किस पंथ के लोग सबसे ज्यादा छोड़ रहे हैं अपनी आस्था
अब सवाल यह है कि ब्रिटेन से लेकर इटली तक नास्तिक बनने वाले लोगों की बड़ी संख्या किस पंथ की है और इससे किसे ज्यादा नुकसान है। इसका जवाब भी प्यू रिसर्च के सर्वे में दिया गया है। सर्वे के अनुसार सबसे ज्यादा ईसाई धर्म से जुड़े लोगों ने ही खुद को नास्तिक घोषित कर लिया है। सर्वे में बताया गया कि 28.4 फीसदी ने ईसाई धर्म छोड़ा है तो महज 1 फीसदी ने ही अपनी आस्था बदलते हुए ईसाई पंथ को अपनाया है। वहीं जर्मनी में 19.7 फीसदी ईसाई ऐसे हैं, जो अब खुद को नास्तिक बताने लगे हैं। इस तरह दुनिया के कई मुल्कों में तेजी से ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखते। वहीं दिलचस्प बात है कि इस्लाम और हिंदू धर्म ऐसे हैं, जिनमें अपना जन्म से प्राप्त धर्म छोड़ने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है।

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