भोपाल
भोपाल में गणेश उत्सव नवरात्रि की मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। एनजीटी के आदेश के बाद भोपाल नगर निगम ने शहर के तालाबों में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगा दी है। अब शहर के चारों दिशाओं में चार विसर्जन घाट बनाए जा रहे हैं। राजधानी भोपाल में गणेश उत्सव नवरात्रि की मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। एनजीटी के आदेश के बाद भोपाल नगर निगम ने शहर के तालाबों में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगा दी है। अब शहर के चारों दिशाओं में चार विसर्जन घाट बनाए जा रहे हैं। भोपाल की महापौर मालती राय नए विसर्जन घाटों का निरीक्षण कर रही हैं। शुरुआती दौर में चार जगह का चयन किया गया है। जिसमें से नीलबड़, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, मालीखेड़ी और प्रेमपुरा घाट के पास मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की जाएगी।
एनजीटी ने लगाई है मूर्ति विसर्जन पर रोक
दरअसल भोपाल के तालाबों को प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड ने प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगा दी है। अगस्त के अंत में गणेश चतुर्थी और सितंबर में नवरात्र शुरू हो जाएंगे। ऐसे में प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अभी से जगह की तलाश शुरू हो गई है। नगर निगम अधिकारियों के साथ मालीखेड़ी पहुंची महापौर मालती राय ने पुराने घाट को व्यवस्थित करने को कहा है।
मालीखेड़ी पूरी तरह फाइनल, काम शुरू
महापौर मालती राय ने बताया कि अभी मालीखेड़ी तो पूरी तरह फायनल है। यहां काम भी शुरू कर दिया गया है। शहर के चारों दिशाओं में विसर्जन घाट बनाए जाएंगे। जल्द ही तीन नए घाट भी तैयार हो जाएंगे। इसके लिए संजीव नगर, नीलबढ़ और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय कैम्पस में जगह देखी जा रही है। महापौर ने बताया कि संजीव नगर भी लगभग फायनल है। बीयू कैम्पस में विसर्जन घाट बनाने के लिए विश्वविद्यालय से चर्चा चल रही है। मंजूरी मिलते ही निगम घाट विकसित कर देगा।
बैरागढ़ विसर्जन घाट पहले से विकसित
बैरागढ़ विसर्जन घाट पहले से विकसित है। यह बड़ा तालाब से दूर है। वहीं मालीखेड़ी विसर्जन घाट में भी निगम पहले से विसर्जन की व्यवस्था करता आ रहा है। इसके अलावा प्रेमपुरा घाट पर एक नया घाट विकसित करने पर विचार चल रहा है।
अभी तक यहां होता था मूर्तियों का विसर्जन
पिछले साल तक नगर निगम ने शहर के प्रेमपुरा, खटलापुरा, हथाईखेड़ा डैम, आर्च ब्रिज, बैरागढ़ और मालीखेड़ी घाट पर ही प्रतिमाओं के विसर्जन की व्यवस्था करता रहा है। भोपाल शहर की अलग-अलग क्षेत्र से हजारों छोटी बड़ी मूर्तियां इन घाटों पर विसर्जित की जाती थीं। इसे लेकर पुलिस प्रशासन और नगर निगम व्यवस्थाएं संभालने का काम करता था। अब देखना यह होगा कि सीमित कर घाटों में मूर्ति का विसर्जन किस तरह से किया जाएगा।