Amandeep Singh की यह अदम्य यात्रा साबित करती है कि सीमाएँ शरीर में नहीं, मन में होती हैं। ट्रक दुर्घटना में दोनों पैर खोने के बाद भी उन्होंने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया और आज वे भारत के लिए पैरालिंपिक गोल्ड का सपना देख रहे हैं।
Amandeep Singh की यह अदम्य यात्रा साबित करती है कि सीमाएँ शरीर में नहीं, मन में होती हैं। ट्रक दुर्घटना में दोनों पैर खोने के बाद भी उन्होंने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया और आज वे भारत के लिए पैरालिंपिक गोल्ड का सपना देख रहे हैं।