Wednesday, May 21, 2025
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पाक को मिलने वाली आर्थिक मदद हुई कम, कुपोषण जैसे चुनौतियों से निपटने चल रहे कार्यक्रम पड़े कमजोर

कराची

पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकियों को पनाह देता है और यह बात पूरी दुनिया जानती है. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी अड्डों को तबाह कर दिया. इसस पहले पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया गया और पड़ोसी मुल्क के साथ कारोबार पूरी तरह से रोक दिया गया. ऐसे में पहले से ही खस्ताहाल मुल्क पाकिस्तान की हालत और भी बिगड़ गई है और वहां अकाल जैसे हालात बन गए हैं.

भुखमरी जैसे हालात

पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान खाद्य सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक हालात का सामना कर रहा है. दिसंबर 2024 तक खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.3 प्रतिशत रह गई, जो वर्ष की शुरुआत में दोहरे अंकों से कम थी, लेकिन गरीबी और बेरोजगारी, भोजन तक सबकी पहुंच में सबसे बड़ी बाधा बन रही है. साल 2022 की बाढ़ ने पाकिस्तान पर गहरे निशान छोड़े हैं.

साल 2023 और 2024 में बेमौसम की घटनाओं ने आजीविका को खत्म कर दिया, खासकर ग्रामीण बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में संकट ज्यादा गहरा है. इन क्षेत्रों में जलस्तर लगातार घटता जा रहा है, जिससे कृषि घाटा बढ़ रहा है और उसपर निर्भर किसान गहरे कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं.

कुपोषण बना चिंता का विषय

रिपोर्ट में  ताजा आकलन के मुताबिक बताया गया कि पाकिस्तान में 11 मिलियन लोग IPC फेस 3 संकट या उससे भी बदतर हालात में हैं, जबकि 2.2 मिलियन लोगों के सामने इमरजेंसी जैसी स्थिति है. सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में कुपोषण का लगातार बढ़ना चिंताजनक है, जहां कम वजन वाले बच्चों की बड़ी संख्या जन्म लेती है और डायरिया और फेफड़ों से संबंधित इंफेक्शन बढ़ा है. इंडीग्रेटिड फूट सिक्योरिटी फेस क्लासिफिकेशन फेस-3 का मतलब है कि आजीविका को बचाने, खाद्य संकट दूर करने और कुपोषण से लड़ने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.

इन चुनौतियों को ज्यादा जटिल बनाने वाली बात है मानवीय आधार पर मिलने वाले वैश्विक निवेश का घटना, जिसने खाद्य सहायता कार्यक्रमों को कम कर दिया है. वैश्विक संस्थाओं से पाकिस्तान को मानवीय आधार पर मिलने वाली आर्थिक मदद कम हुई है, जिससे वहां खाद्य सुरक्षा, कुपोषण जैसे चुनौतियों से निपटने के लिए चल रहे कार्यक्रम कमजोड़ पड़े हैं.

आतंकियों का मददगार PAK

डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल नीतियों में बदलाव की जरूरत है. केंद्र और प्रांतों को अपना सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क मजबूत करने की जरूरत है. साथ ही माताओं और बच्चों के लिए पोषण सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए और कृषि में ज्यादा निवेश करना चाहिए. निर्णायक कार्रवाई के बिना, पाकिस्तान पर भूख और गरीबी के पुराने चंगुल में फिर से फंसने का खतरा मंडरा रहा है.

पाकिस्तान की सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा से ज्यादा खर्च आतंकियों पर कर रही है. हाल ही में शहबाज सरकार ने आतंकी मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. जब तक वहां की सरकार आतंकियों को पालेगी और उनकी मदद करेगी तब तक आम नागरिकों के हितों की रक्षा होना बहुत मुश्किल है.

 

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