Tuesday, August 12, 2025
Homeदेशजितने महीने साथ निभाए, उतने करोड़ मांगे एलिमनी में – सुप्रीम कोर्ट...

जितने महीने साथ निभाए, उतने करोड़ मांगे एलिमनी में – सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

नई दिल्ली
एक महिला की ओर दायर एलिमनी के केस में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली अदालत ने इस मामले में शख्स को आदेश दिया कि वह अपनी पूर्व पत्नी को एलिमनी के तौर पर मुंबई की हाईप्रोफाइल सोसायटी में स्थित फ्लैट दे दें। इसके साथ ही एलिमनी का केस अब बंद कर दिया जाए। इसके साथ ही बेंच ने महिला को भी सुनाया, जिसने मांग रखी थी कि उसे 12 करोड़ रुपये की रकम और मुंबई स्थित एक फ्लैट एलिमनी में दिया जाए। इस पर चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि आप दोनों की शादी ही 18 महीने चली और आप 18 करोड़ रुपये मांग रही हैं। इसका अर्थ हुआ कि आप शादी के प्रति एक महीने के बदले एक करोड़ चाहती हैं।

जस्टिस गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने महिला की दलीलों पर कहा कि आपकी तो शादी ही बहुत कम समय चली। ऐसे में इतनी बड़ी डिमांड करना कैसे तार्किक है। चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि जिस फ्लैट की मांग की जा रही है वह मुंबई की कल्पतरू सोसायटी में है, जो शहर का नामी हाउसिंग प्रोजेक्ट है। उन्होंने महिला से पूछा कि आप कितनी पढ़ी लिखी हैं। इस पर महिला ने बताया कि उसने एमबीए तक की पढ़ाई की है और पूर्व में आईटी सेक्टर में काम कर चुकी है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में नौकरी कर सकती हैं। फिर काम क्यों नहीं करती हैं?

यही नहीं मुख्य न्यायाधीश ने शादी की कम अवधि का हवाला देते हुए कहा कि यह कुल 18 महीने ही चली और आप हर एक महीने के बाद 1 करोड़ की डिमांड कर रही हैं। शख्स की वकील माधवी दीवान ने कहा कि महिला 18 महीने की शादी के अंत के नतीजे में अनिश्चितकाल तक आर्थिक सहयोग नहीं मांग सकती। दीवान ने कहा कि वह पढ़ी लिखी हैं और काम कर सकती हैं। इसके बाद बेंच ने संबंधित व्यक्ति की इनकम टैक्स डिटेल भी मंगाई ताकि तय किया जा सके कि उसकी आर्थिक स्थिति कैसी है। वह एलिमनी के तौर पर कितनी रकम देने में सक्षम है।

इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने साफ कर दिया कि महिला ऐसी किसी संपत्ति में हक नहीं मांग सकती, जो उसके पूर्व के पति के नाम नहीं है बल्कि उसके पिता के नाम है। अंत में अदालत ने कहा कि महिला चाहे तो फ्लैट ले ले या फिर एकमुश्त 4 करोड़ रुपये की रकम लेकर समझौता करे। इसके अलावा चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि जो लोग नौकरी करने के योग्य हैं, वे जानबूझकर बेरोजगारी का रास्ता नहीं ले सकते कि फिर उसकी आड़ में मोटा अमाउंट मांग लें। उन्होंने कहा कि आप पढ़ी लिखी हैं। आपको इस रकम के भरोसे नहीं रहना चाहिए। आपको खुद कमाना चाहिए और पूरी गरिमा के साथ जीवन निर्वाह करना चाहिए।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments