नई दिल्ली
क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि भारत के घरेलू विद्युत ट्रांसफार्मर उद्योग की बिक्री अगले वित्त वर्ष तक सालाना 10-11% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इससे बाजार का आकार वित्त वर्ष 2025 के अनुमानित ₹33,000 करोड़ से बढ़कर ₹40,000 करोड़ से अधिक हो जाएगा।
इस वृद्धि का मुख्य कारण पारेषण और वितरण (टीएंडडी) बुनियादी ढांचे में तेजी से हो रहे निवेश हैं, जो बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं। देश की स्थापित उत्पादन क्षमता 485 गीगावाट से बढ़कर 570-580 गीगावाट तक पहुँचने की उम्मीद है, जबकि इसी अवधि में अधिकतम मांग 20 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 296 गीगावाट होने की संभावना है।
राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) के तहत वित्त वर्ष 2027 तक ट्रांसफार्मर क्षमता को 1,847,280 मेगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अब तक वित्त वर्ष 2025 तक केवल 30% ही हासिल किया गया है। यह त्वरित निवेश की आवश्यकता को दर्शाता है। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक राहुल गुहा ने बताया कि पावर टीएंडडी सेक्टर में मजबूत पाइपलाइन के चलते इस और अगले वित्त वर्ष में ट्रांसफार्मर क्षेत्र के लिए ₹70,000-75,000 करोड़ का राजस्व अवसर पैदा होगा। उन्होंने कहा कि ऑर्डर बुक मौजूदा नौ महीनों से बढ़कर एक साल से अधिक की बिक्री तक पहुँच जाएगी, जिससे उच्च बिक्री की संभावना सुनिश्चित होगी।
क्रिसिल ने यह भी कहा कि क्षमता उपयोग 80% से ऊपर पहुँच जाएगा, जिससे कार्यशील पूंजी और पूंजीगत व्यय में वृद्धि होगी, जिसका अनुमान अगले वित्त वर्ष तक ₹200 करोड़ है। इस वित्तपोषण के लिए कंपनियाँ अतिरिक्त ऋण ले सकती हैं, लेकिन स्वस्थ बैलेंस शीट और बढ़ते नकदी प्रवाह के कारण क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर बनी रहेगी। प्रतिस्थापन मांग भी उद्योग की वृद्धि में योगदान देगी क्योंकि 2000-2005 के दौरान स्थापित इकाइयाँ अपने औसत 25-वर्षीय जीवनकाल के अंत तक पहुँच रही हैं। परिचालन मार्जिन 8-10% के बीच रहने का अनुमान है और आक्रामक बोली लगाने की संभावना कम है।
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक नितिन कंसल ने कहा कि उच्च ऋण स्तरों के बावजूद, उनके रेटेड पोर्टफोलियो का गियरिंग और ब्याज कवरेज अनुपात अगले वित्त वर्ष तक क्रमशः 0.6x और 4x पर स्थिर रहेंगे। हालांकि, एजेंसी ने समय पर भुगतान, ऑर्डर आवंटन की गति और बोली लगाने की आक्रामकता को इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण कारक बताया है, जिन पर सतर्क नजर रखनी होगी।