श्रावण पूर्णिमा या नराली पूर्णिमा श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 31 अगस्त को मनाई जा रही है। इस खास दिन वरुण देव की पूजा की जाती है। कहा जाता है मछुआरों द्वारा पूर्णिमा के दिन सागर के देवता वरुण को खुश करने के लिए नारियल भेंट किए जाते थे ताकि उनके मछली पकड़ने के काम में बरकत बनी रहे। तभी से इसका नाम नराली पूर्णिमा या नारियल पूर्णिमा पड़ गया। इस खास दिन पर ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन कई धार्मिक विधियां की जाती हैं। कई लोग रक्षा सूत्र बांधते हैं तो कई शुद्धिकरण करते हैं। इसी तरह कई लोग ब्राह्मणों को दान देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है ताकि घर में खुशियां, शांति और सुख-समृद्धि बनी रहे। इसी के साथ भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, शिवजी तथा हनुमान जी को भी राखी बांधी जाती है।श्रावण माह को बहुत विशेष माना जाता है क्योंकि इस माह में बहुत सारे त्योहार होते हैं। इस माह में खासतौर पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस माह में पड़ने वाले सभी सोमवार के व्रत करना तो बेहद शुभ माना जाता है। इसी तरह मंगलवार के दिन औरतें मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए व्रत करती हैं। वैदिक ग्रंथों में शिव के रुद्र रूप की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है इस माह में शिव के रुद्र रूप की पूजा करने से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पूजा करने से व्यक्ति के सभी बुरे कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है। अपने पापों को धोने के लिए महारुद्राभिषेक किया जाता है। इसे करने से जीवन में हर तरह की खुशहाली आती है। माना जाता है कि यह अभिषेक करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर समय रक्षा करते हैं।
• श्रावण महीने में भक्त शिव चालीसा तथा महामृत्युंज्य का जाप करते हैं, सिद्ध रुद्राक्ष कवच धारण करते हैं तथा भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करते हैं।
• इस समय वरुण देव को नारियल का दूध, सफेद फूल और मिठाईयां अर्पित की जाती हैं ताकि सुख-समृद्धि बनी रहे।
• इस दौरान पूर्णिमा के चांद को चांदी के गिलास में भरकर दूध अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को अंदरूनी शांति प्राप्त होती है तथा परिवार में खुशियां बनी रहती हैं।
• स्वास्थ-संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर हल्दी और गुलाब जल चढ़ाना चाहिए।
• घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए इस पूर्णिमा की रात को लौंग वाला दीया जला कर रखें और फिर उसे बहते हुए पानी में बहा दें।
• चंद्र गायत्री का जाप 108 बार करें।
पूर्णिमा के दिन चांद पूरा होता है और इस दिन चंद्र पूजा करने से सभी प्रकार के चंद्र दोषों से छुटकरा मिलता है। इस दिन दान-दक्षिणा देने का भी विशेष महत्व है। इसलिए हो सके तो अपनी मर्जी के अनुसार किसी जरूरतमंद की मदद अवश्य कर दें। ज्योतिष के अनुसार इस दिन की जाने वाली सभी प्रकार की पूजा का विशेष महत्व होता है। अगर किसी व्यक्ति पर राहू, केतु या चंद्र की महादशा चल रही हो तो उसे यह पूजा करने से विशेष लाभ होता है।