Saturday, December 6, 2025
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“खराब सड़कों का कोई औचित्य नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गड्ढों से हुई मौतों पर 6 लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया”

खराब सड़कों का कोई औचित्य नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गड्ढों से हुई मौतों पर 6 लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया”

संवादाता आकाश तिवारी…….

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में सड़कों की खराब हालत पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि “खराब सड़कों का कोई औचित्य नहीं हो सकता”। अदालत ने गड्ढों की वजह से होने वाली मौतों और हादसों को गंभीर प्रशासनिक उदासीनता का नतीजा बताया है और पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल की खंडपीठ ने सड़क सुरक्षा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सड़कों की बदहाली के बावजूद सरकार और स्थानीय निकायों द्वारा टोल और अन्य करों के ज़रिए करोड़ों रुपये वसूले जाते हैं, फिर भी नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रहीं।

पीठ ने कहा, “राज्य की एजेंसियों और नगर निकायों का संवैधानिक और कानूनी दायित्व है कि वे नागरिकों की सुरक्षा, सुविधा और कल्याण सुनिश्चित करें।”

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि गड्ढों के कारण जान गंवाने वालों के परिवारों को 6 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, और इस मुआवजे की राशि तय करने के लिए एक समिति गठित की जाए जिसमें नगर निगम आयुक्त और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शामिल हों।

पीठ ने अफसोस जताते हुए कहा कि “2015 से लेकर अब तक कई बार आदेश दिए गए, लेकिन अधिकारियों ने कभी भी स्थायी समाधान की दिशा में गंभीरता नहीं दिखाई। हर साल वही समस्याएं दोहराई जाती हैं, और नागरिकों की जान खतरे में डाली जाती है।”

अदालत ने यह भी कहा कि केवल वादे और आश्वासन देने से कुछ नहीं होगा, अब समय आ गया है कि जिम्मेदारी तय हो और पीड़ितों को न्याय मिले।

सामाजिक कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया

सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष मिश्रा ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा, “हम इस फैसले को एक ऐतिहासिक निर्णय मानते हैं। इससे पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है और समाज में एक सकारात्मक संदेश गया है कि कानून सबके लिए समान है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं था, बल्कि यह सामाजिक चेतना और अधिकारों की भी लड़ाई थी, जिसमें अंततः सत्य की जीत हुई है।

न्याय प्रणाली में बढ़ा विश्वास

जनता और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि इस फैसले ने न केवल न्याय प्रदान किया है, बल्कि लोगों के मन में न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को भी और मजबूत किया है। कई लोगों का मानना है कि यदि इसी तरह समय पर न्याय मिलता रहा तो समाज में कानून के प्रति सम्मान और जागरूकता में निश्चित रूप से वृद्धि होगी।

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