भोपाल । प्रदेश की गाडरवारा विधानसभा सीट भले ही अभी कांग्रेस के खेमे में हो और यहां सुनीता पटेल अपने आप को एक तरफा राजनीति का किंग मानती रही है।* *लेकिन इस बार लगता है जनता ने उनकी जीत का तिलस्म तोडऩे का मन बना लिया है। सुनीता पटेल जिनके बलबूते अब तक राजनीति के शिखर पर चढ़ते रहे हैं। इस बार उनके करीबी-जनों ने ही उनको सबक सिखाने की तैयारी कर ली है। इस बार सुनीता पटेल के लिए विधानसभा की सीढ़ी चढ़ पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन नजर आ रहा है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने काद्यावर नेता लोकप्रिय सांसद राय उदय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।
सुनीता पटेल की मुश्किल क्यों?
गाडरवारा विधानसभा से जो रिपोर्टस और रूझान मिल रहे हैं, उनके अनुसार इस बार सुनीता पटेल चुनाव हार जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। सुनीता पटेल पर स्थानीय जनता खुलकर तोहमत लगाती है कि यदि केंद्र की योजनाओं और कार्यक्रमों को छोड़ दें, तो पिछले पांच सालों में सुनीता पटेल ने क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य नहीं कराए हैं। उनकी पांच साल की निष्क्रियता इस बार कांग्रेस की जीत में बड़ी बाधा बन गई है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समाजों ने किनारा किया
कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि सुनीता पटेल की कार्यशैली की वजह से इस बार कांग्रेस के कोर वोट बैंक के रूप में क्षेत्र के कुर्मी, पटेल ब्राह्मण , गुर्जर ,बघेल, और मुस्लिम मतदाताओं ने भी उनसे दूरी बना ली है। इन समाजों के लोगों का कहना है कि जब सुनीता पटेल ने पिछले पांच साल हमारी उपेक्षा की है, तो अब हम क्यों उन्हें सपोर्ट करें। इन समाजों ने सुनीता पटेल को चुनाव में सबक सिखाने का निश्चय किया है। इसी तरह से कांग्रेस के कार्यकर्ता भी सुनीता पटेल की कार्यशैली से नाराज हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले पांच सालों में उन्होंने जिस अपमान और उपेक्षा को सहा है, निश्चित तौर पर विधायक को इसका खामियाजा तो भुगतना पड़ेगा।
वोटर कैलकुलेशन क्या है।
साल 2018 में जारी वोटरों के आंकड़ों की बात करें तो गाडरवारा में 1 लाख 88 हजार 204 मतदाता था. इसमें से महिलाओं की संख्या 88 हजार 246 जबकि, पुरुषों की संख्या 99 हजार 961 है. बता दें 2023 में मतदाताओं की संख्या में बदलाव आया है. हालांकि, अंतर का रेसियो लगभग बराबक ही होगा.