छतरपुर: = भाजपा के नेता पर गिरि गाज मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले छतरपुर जिले में सलमान खान नामक व्यक्ति की मौत को लेकर कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम सिंह नातीराजा की शिकायत पर भाजपा उम्मीदवार अरविंद पटेरिया सहित उनके साथियों पर हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है ।राजनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम सिंह की ओर से खजुराहो थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि गुरुवार की रात उनके समर्थकों के वाहन का सामना भाजपा उम्मीदवार पटेरिया के वाहनों के काफिले से हुआ। उनकी ओर से गालियां दी गई, समझाने की कोशिश की गई, मगर, वे नहीं माने और पटेरिया के साथियों ने वाहन चढ़ाकर मारने की कोशिश की। विक्रम सिंह की शिकायत में आगे कहा गया है कि जब सलमान खान सड़क किनारे खड़ा था तभी उस पर कार चढ़ा दी गई। उसे गंभीर हालत में छतरपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
यूं तो भाजपा के कई नेताओं पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते हैं । और उन पर फिर होती रहती हैं अब देखना होगा पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और आरोपी पर आरोप सिद्ध हो पता है कि नहीं ।
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या के लिए दण्ड) जिसने भी हत्या की है, उसे या तो आजीवन कारावास या मृत्युदंड (हत्या की गंभीरता के आधार पर) के साथ – साथ जुर्माने की सजा दी जाएगी। हत्या से संबंधित मामलों में न्यायालय के लिए विचार का प्राथमिक बिंदु अभियुक्त का इरादा और उद्देश्य है। यही कारण है कि यह महत्वपूर्ण है कि अभियुक्त का उद्देश्य और इरादा इस धारा के तहत मामलों में साबित हो। यह एक गैर जमानती और संज्ञेय अपराध है जो जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है यह। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता करने योग्य नहीं है। धारा 299 आईपीसी के अंतर्गत हत्या को परिभाषित किया गया है।
मौत की सजा
मृत्युदंड एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को जघन्य अपराध के लिए सजा के रूप में राज्य द्वारा मौत की सजा दी जाती है। भारत में मौत की सजा दुर्लभ मामलों के लिए दी जाती है। किसी अपराध के लिए “दुर्लभतम मामला” होने के मानदंड को परिभाषित नहीं किया गया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के अनुसार, 2007 में कम से कम 100 लोग, 2006 में 40, 2005 में 77, 2002 में 23 और 2001 में 33 लोगों को मौत की सजा दी गई ।
आजीवन कारावास
एकांत, कठोर और सरल कारावास तीन प्रकार के कारावास होते हैं। आजीवन कारावास का मतलब है, कि व्यक्ति अपने जीवनकाल के लिए कैद कर दिया जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 53 में यह प्रावधान है कि कुछ प्रकार के दंड हो सकते हैं जहां आजीवन कारावास भी सजा का एक स्वीकृत रूप है। वर्ष 1955 में आजीवन कारावास की सजा को आजीवन कारावास के साथ बदल दिया गया। धारा 302 के अनुसार, आजीवन कारावास भी हत्या करने की सजा है। आजीवन कारावास मृत्युदंड की तरह हिंसक सजा नहीं है, लेकिन यह अभी भी आरोपी और समाज को प्रभावित करता है।